मनोज उपाध्याय, मुरैना। तुर्की के इस्तांबुल शहर में आयोजित एशियन पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश के लिए 4 रजत पदक जीतकर ईशा सिंह नए साल के पहले दिन मुरैना पहुंची। उनके स्वागत के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। जहां से ईशा सिंह गुजरी वहां लोगों ने फूल बरसा व माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान प्रशासन की ओर से न तो उन्हें कोई सुविधा दी गई न ही कोई अधिकारी स्वागत करने पहुंचा।
बता दें कि 23 से 30 दिसंबर तक तुर्की के इस्तांबुल शहर में एशियन पॅावर लिफ्टिंग चैपिंयनशिप प्रतियोगिता मेंं भारत का प्रतिनिधित्व मुरैना की ईशा सिंह ने किया। उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 84 किलोग्राम वर्ग में स्कॅाट सिल्वर, बैंच सिल्वर, डेड सिल्वर और उसके बाद ओवरआल वेटलिफ्टिंग में भी सिल्वर मेडल अपने नाम किया। शनिवार की दोपहर ईशा सिंह और उनके कोच उदय शर्मा शहर पहुंचे।
रेलवे स्टेशन पर ईशा सिंह का स्वागत करने सैकड़ों युवा जुटे। फूल बरसा कर स्वागत किया। इसके बाद खुले वाहन में ईशा, उनके कोच व मुरैना पॅावर लिफ्टिंग एसोसिशन के पदाधिकारी सड़कों से गुजरे। गांधी कालोनी आवास में ईशा पहुंची तो माता-पिता ने घर के बाहर फूलों की कालीन बिछाकर अगवानी की। उनके पिता डॉ. ए.एस. गहलोत पीजी कालेज में प्रोफेसर और मां दीपा सिंह गृहिणी है।
सपना गोल्ड मेडल जीतने का
ईशा सिंह ने बताया कि, मेरा सपना गोल्ड मेडल जीतने का था। उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाई। अगले साल कामन वेल्थ गेम होने वाले हैं। उसके बाद राष्ट्रीय पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता होनी है, जिसके लिए मैं अभी से तैयारी शुरू कर दूंगी। अपनी इस उपलब्धि का श्रेय पैरेंट्स, कोच और एसोसिएशन के पदाधिकारियों को दिया।
डाइट व ट्रेनिंग और कड़ी होगी
कोच उदय शर्मा ने बताया कि चार साल से ईशा सिंह जबरदस्त मेहनत कर रही थीं। उनकी मेहतन कितनी है, इसका अंदाजा उनके द्वारा जीते गए चार मेडलों से लगाया जा सकता है। कामनवेल्थ में भागीदारी के लिए और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। उनकी डाइट व ट्रेनिंग और कड़ी होगी।
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