अगर किसी देश का पेट भरने वाले किसान की आवाज़ नहीं सुनी जा रही हो और वो अपनी आवाज़ ऊपर तक पहुंचाने के लिए उसे पेशाब पीना पड़े, मल खाना पड़े तो यकीनन ये देश के लिए सबसे शर्मनाक बात है. दुर्भाग्य से ऐसा हमारे देश में हुआ. वो भी कहीं और बल्कि बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में. अब तक आप समझ ही गए होंगे कि ये वही तमिलनाडू के किसान हैं जो चाहते हैं कि देश की केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करे.
तमिलनाडु में पानी नहीं इसलिए पिया है पेशाब- प्रदर्शनकारी
पिछले करीब 38 दिन से ये तमिलनाडु के ये किसान जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी आवाज़ सुनी जाए इसके लिए वे विरोध का हर तरीका अख्तियार कर रहे हैं. पहले ये तमिलनाडू में आत्महत्या करने वाले किसानों की खोपड़ियों को लेकर प्रदर्शन किया. उसके बाद इन्होंने नग्न प्रदर्शन किया, चूहे खाये, सांप मूंह में रखा. लेकिन किसी ने जब आवाज़ नहीं सुनी तो इन्होंने आज मानव मुत्र पिया.इनका कहना है कि इनके प्रदेश में इन्हें पीने का पानी नहीं मिल रहा है. पीएम मोदी उनकी प्यास को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं. इसलिए इनके पास पेशाब पीने के अलावा कोई चारा नहीं है.
सरकार ने नहीं सुनी तो खाएंगे मल – प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों ने धमकी दी है कि अगर उनकी अब भी नहीं सुनी गई तो वे रविवार को मानव मल खाएंगे. दरअसल तमिलनाडु के किसान इन दिनों भयंकर सूखे का सामना कर रहे हैं. दक्षिण-पश्चिमी मानसून और पूर्वोत्तर मानसून सामान्य से 60 फीसदी बरसा है. ऐसे में कर्ज का बोझ उनकी जिंदगी को और कठिन बना रहा है. किसानों का आरोप है कि आत्महत्या के बढ़ते मामलों के बावजूद सरकार उनकी नहीं सुन रही. वो कर्ज माफी के साथ राहत पैकेज की भी मांग कर रहे हैं.
कोर्ट ने लगाई फटकार
इस मामले पर मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को किसानों का कर्ज माफ करने का निर्देश दिया है. 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में किसानों की आत्महत्या को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. इसके साथ ही मामले में गोपाल शंकरनारायण को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.