तिरुपति मंदिर की सेवा में लगे 4 परिवारों की चर्चा खूब हो रही है, जिनकी पुश्तें दशकों से देवस्थानम की देखरेख और पूजा अर्चना कर रही हैं. इन परिवार की पावर भी किसी आम परिवार से कहीं अधिक है. तिरुपति मंदिर में कुल 58 पुजारी जो रोजाना की पूजा अर्चना कराते हैं . इसमें 23 पुजारी वंशानुगत हैं.
मुख्य धार्मिक कार्यकलाप इन्हीं के हाथों से सभी पुजारियों को सैलरी मिलती है और अन्य सुविधाएं भी, साथ में VIP पास देने की सुविधा भी
सदियों से तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर का धार्मिक प्रबंधन 4 पुजारी परिवारों द्वारा किया जाता रहा है. तिरुमति मंदिर के 4 पॉवरफुल फैमिली के तौर पर इन्हें जाना जाता है. मंदिर में सुबह से शाम तक जो धार्मिक अनुष्ठान चलता है, वो इसी परिवार के लोग करते हैं.
इन 4 पुजारी परिवारों का नाम है – पैडिपल्ली, गोल्लापल्ली, पेद्दिन्ति और तिरुपतम्मा. पीढ़ियों से ये परिवार तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में अनुष्ठान करते आ रहे हैं. इन 4 परिवार के 23 पुजारियों का सिक्का पूरे तिरुपति में चलता है. वो शानोशौकत से यहां रहते हैं.
– तिरूमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट में कुल 16,000 लोगों का स्टाफ है.
मंदिर में 4 वंशानुगत पुजारी परिवारों के 23 पुजारी हैं, मंदिर की असल धार्मिक ताकत इन्हीं के हाथों में होती है.
– गैर वंशानुगत तौर पर मंदिर में 35 पुजारी हैं.
पुजारियों का वेतन
– मंदिर का मुख्य पुजारी वंशानुगत ही होता है जिसे प्रधान अर्चक कहते हैं, इनका महीने का वेतन करीब 82,000 रुपए होता है, साथ में सुविधाएं अलग
– दूसरे हेड पुजारी भी वंशानुगत ही होते हैं, जिन्हें हर महीने वेतन के तौर पर 52,000 रुपए मिलते हैं, भत्ते अलग, हालांकि ये कितने मिलते हैं, इसका खुलासा नहीं किया जाता
– गैर वंशानुगत पुजारियों का वेतन 30,000 से 60,000 रुपए होता है, जो अनुभव पर निर्भर करता है
कुछ वंशानुगत पुजारियों को उनकी सेवाओं के साथ एक बार मोटी राशि भी दी जाती है, जैसे रमन्ना दीक्षितुलु को उनकी सेवाओं के बदले 30 लाख रुपए दिए गए.
पुजारियों को भत्ते और सुविधाएं
– सभी पुजारियों को रहने के लिए घर मिलते हैं. हालांकि इसका कोई नियम नहीं है
– सभी पुजारियों को वेतन के अलावा कई तरह के भत्ते मिलते हैं लेकिन उनके बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है
– सभी पुजारियों और उनके परिवार को स्वास्थ्य को लेकर खर्च टीटीडी वहन करता है, वैसे टीटीडी का खुद का भी काफी आधुनिक अस्पताल है.
तिरुपति बालाजी मंदिर में सुबह तड़के से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं और ये रात तक चलते रहते हैं. इन पुजारियों का मंदिर परिसर के सारे धार्मिक क्रियाकलाप पर पूरा नियंत्रण रहता है.
– सभी पुजारियों को छुट्टी भी मिलती है. लेकिन ये नियमबद्ध नहीं है.
– सभी पुजारियों की एक उम्र तय है, उसके बाद वो रिटायर होते हैं. तब उन्हें रिटायरमेंट के बेनिफिट मिलते हैं. रिटायरमेंट प्लान यहां 2018 से लागू हुआ है. 65 साल की उम्र में पुजारी रिटायर हो जाता है.
हालांकि ये मामला कोर्ट में गया तो राज्य सरकार ने इसको हटा लिया. क्योंकि वंशानुगत पुजारियों का तर्क है कि उनका पद जीवनपर्यंत है, इसमें रिटायरमेंट की कोई बाध्यता नहीं है. लेकिन ये सुविधा गैर वंशानुगत पुजारियों को हासिल नहीं है. इस मामले में कोर्ट में मुकदमा जारी है.
– हर पुजारी अपने परिवार या कुछ लोगों को अपने कोटे पर VIP सुविधा से मंदिर में दर्शन के लिए ला सकता है .
हर पुजारी को कितने VIP पास
TTD पुजारी विशेष रूप से वंशानुगत पुजारी तिरुमाला मंदिर में दर्शन के लिए निश्चित संख्या में VIP पास के हकदार हैं.
– प्रत्येक पुजारी आमतौर पर दर्शन के लिए 2 VIP पास का लाभ उठा सकता है. उन्हें मंदिर में तुरंत दर्शन के लिए आरामदायक तरीके से परिवार के सदस्यों या मेहमानों को लाने की अनुमति मिलती है.
तिरुपति मंदिर के धार्मिक कामों पर कई पीढियों से 4 परिवारों का नियंत्रण है. उनके बगैर मंदिर में कुछ नहीं होता. वो तिरुपति के सबसे ताकतवर पुजारी परिवार से आते हैं.
वो 4 पुजारी परिवार जो सबसे ताकतवर
जो 4 परिवार तिरुपति मंदिर में वंशानुगत पुजारी हैं, वो पैडिपल्ली, गोल्लापल्ली, पेद्दिन्ति और तिरुपतम्मा परिवारों से आते हैं, मंदिर के पहले पुजारी गोपीनाथाचार्युलु के वंशज हैं. वह मंदिर के अनुष्ठानों पर एक संहिता वैखानस आगम के विशेषज्ञ थे. वैखानस आगम भगवान विष्णु से जुड़े मंदिरों में पूजा की 2 परंपराओं में एक है.
इस परिवार के लोगों को अर्चक, मीरासी परिवार या वंशानुगत पुजारी के रूप में जाना जाता है. करीब 2,000 वर्षों से ये परिवार तिरुमाला मंदिर और गोविंदराज स्वामी मंदिर से जुड़े हुए हैं.
इन परिवारों के सदस्यों को पारंपरिक रूप से मंदिर के अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के संरक्षक के रूप में देखा जाता है। वे दैनिक अनुष्ठान (नित्य कैंकर्यम) और विशेष समारोह करते हैं, जो मंदिर की प्रथाओं को नियंत्रित करने वाले आगम शास्त्रों का पालन सुनिश्चित करते हैं .
फिलहाल मंदिर का मुख्य पुजारी कौन है
तिरुपति मंदिर के मुख्य अर्चक यानि मुख्य पुजारी ए वेणुगोपाल दीक्षितुलु हैं, जो गोल्लापल्ली वंशानुगत परिवार से हैं. वह 2018 में मुख्य अर्चक बने. इससे पहले मंदिर के मुख्य पुजारी डॉ. एवी रमन्ना दीक्षातुलु थे, जो गोल्लापल्ली परिवार के थे. मंदिर में अनुष्ठानों के विशेषज्ञ कहे जाते थे. उनके पास माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की डिग्री थी. पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने 1967 में पुजारी का पद संभाला था.
क्यों ये 4 परिवार तिरुपति से सबसे अमीर परिवारों में गिने जाते हैं
पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है लेकिन माना जाता है कि उन्हें हमेशा से TTD कुल कमाई में एक हिस्सा मिलता है. केवल यही नहीं इन चारों परिवारों के लोग TTD के भीतर प्रभावशाली पदों पर भी बने हुए हैं. इनकी संपत्ति करोड़ों में मानी जाती है. बहुत ठाट बाट के साथ ये लोग रहते हैं. इनका काफी रसूख और असर भी है. सीधे CM तक उनकी पहुंच होती है. देशभर के असरदार लोगों के अनुष्ठान कराते हैं.
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