येरेवन। ऐसे समय में जब भूकंप से तबाह तुर्की से जीवित रहने की चमत्कारी कहानियां आ रही है, जो 1988 में आर्मेनिया में आए भूकंप के बाद एक लगभग असंभव से बचाव की याद दिलाते हैं. तब मलबे में दबी मां ने अपने साथ तीन साल के बच्चे को अपना खून पिलाकर जिंदा रखा था.

महिला और उसके बच्चे को बचाए जाने के दौरान मौजूद एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया था कि अर्मेनियाई भूकंप में मलबे में दबी महिला ने आठ दिनों तक अपने 3 साल के बच्चे को अपना खून पिलाकर जिंदा रखे हुए थी.

अर्मेनिया की राजधानी येरेवन में चिल्ड्रन हॉस्पिटल नंबर 3 के प्रमुख चिकित्सक डॉ ओफेलिया नाज़रीन ने बताया कि 30 वर्षीय मां ने अपने बेटे को बचाने के लिए अपनी एक-एक उंगली को काटकर अपने बच्चे को खून पिलाती रही थी.

घटनाक्रम की गवाह रहीं नज़रियान ने न्यूज एजेंसी को बताया कि 7 दिसंबर 1988 को आए उनके गृह नगर लेनिनकन में आए भूकंप में इमारतें ढह गईं थी. मां-बेटा भी एक तहखाने में फंस गए थे, लेकिन मां की जीवटता की वजह से उसके साथ उसके बच्चे को भी बचा लिया गया.

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