शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. मां कूष्मांडा सौरमंडर की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. नवरात्रि के चौथे दिन देवी शक्ति के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी, उस समय चारों तरफ अंधकार था, तब देवी के इस स्वरूप द्वारा ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ. Read more – Shehnaaz Gill की बिगड़ी हालत, अचानक अस्पताल में हुई भर्ती …
देवी कूष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं अत: इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है. ये भक्तों के कष्ट रोग, शोक संतापों का नाश करती हैं. मां कूष्मांडा को अष्टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है. उनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सजे हैं. वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्त माला धारण किए हुए हैं. मां कूष्मांडा की सवारी सिंह है. Read More – एक्ट्रेस जैस्मिन भसीन की तबियत हुई खराब, पेट में इंफेक्शन के कारण अस्पताल में हुई भर्ती …
मां कुष्मांडा का भोग
मां कुष्मांडा को कुम्हरा यानी के पेठा सबसे प्रिय है. इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए. आप देवी की पूजा में सफेद समूचे पेठे के फल की बलि चढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही देवी को मालपुए और दही हलवे का भी भोग लगाना अच्छा होता है.
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