सुप्रीम कोर्ट में स्पाइनल मस्क्युलर अट्रोफी (Spinal muscular atrophy) नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही 11 महीने की बच्ची की मां ने याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट (SC) से मदद मांगी है. याचिका में बताया गया है कि SMA बीमारी का इकलौता इलाज जोलजेंसमा (Zolgensma) इंजेक्शन है. इसकी कीमत 14.2 करोड़ रुपये है. इस बीमारी से 24 महीने में मौत हो जाती है. समय और इलाज के खर्च के लिए समय कम होने पर जान बचाने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है.

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बच्ची की तरफ से उसकी मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि इस बीमारी का इकलौता इलाज सिर्फ ज़ोलजेंसमा नाम का इंजेक्शन है, इलाज बहुत खर्चीला. इसे लगाने के लिए एम्स दिल्ली ने 14 करोड़ 20 लाख रुपए का खर्च बताया है. जिसे जुटा पाने में उनका परिवार असमर्थ है.

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स्पाइनल मस्क्युलर अट्रोफी (SMA) नाम की दुर्लभ बीमारी से लकवा और सांस बंद हो जाने जैसी समस्याओं के कारण 24 महीने की उम्र तक मौत हो जाती है. जान बचाने के लिए समय की कमी है और इंजेक्शन के खर्च बहुत ज्यादा है. एक मध्यम वर्गीय परिवार उस खर्च का कभी इंतजाम नहीं कर पाएगा.

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याचिका में बच्ची के मां ने कहा कि उनके पति वायुसेना में नॉन कमीशंड अधिकारी हैं. वैसे तो वायुसेना में उनका और आश्रितों के इलाज का प्रावधान तो है, लेकिन इस दुर्लभ बीमारी के इलाज में होने वाला खर्च उन्हें नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने इसके लिए सैनिकों के बीच क्राउड फंडिंग (डोनेशन) कर इलाज के राशि जुटाने की अनुमति भी मांगी, लेकिन उच्च अधिकारियों ने मना कर दिया. सभी यूनिटों को ब्रॉडकास्ट ज़रूर भेजा गया, लेकिन इससे कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया.

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सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने यह भी बताया है कि राजस्थान के बीकानेर में इसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे एक बच्चे के पिता टीचर थे. उनके विभाग ने सभी शिक्षको को मैसेज भेजा. उनकी सहमति से सबके वेतन से 60-60 रुपए काटे और बच्चे के इलाज के लिए ज़रूरी एकत्रित हो गई. लेकिन वायुसेना ने सैनिकों को किसी तरह का मैसेज भेजने से मना कर दिया है. बच्ची के परिवार को खुद ही सैनिकों से मदद मांगने से भी रोक दिया है.

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याचिकाकर्ता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से तुरंत दखल का देने का अनुरोध करते हुए अनुच्छेद 14 (कानून की नज़र में समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लेख किया है. उनकी मांग है कि कोर्ट केंद्र सरकार से इलाज का खर्च उठाने को कहे या फिर रक्षा मंत्रालय और वायु सेनाध्यक्ष को निर्देश दे कि वह सैनिकों को क्राउड फंडिंग के लिए मैसेज भेजें. साथ ही, केंद्र को ज़ोलजेंसमा इंजेक्शन की जल्द उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने को कहे.

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