अटल शुक्ला, सीधी। भारतीय वेद और पुराणों में ‘मां’ की महिमा और शक्ति का बखूबी बखान किया गया है। मां अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है। एक मां अपने बच्चे को बचाने के लिए किसी से भी तकरा सकती है। कुछ इसी तरह का नजारा सीधी जिले के कुसमी ब्लॉक के संजय टाइगर बफर जोन (Sanjay Tiger Buffer Zone) टमसार रेंज क्षेत्र अंतर्गत तीन ओर पहाड़ों से घिरे बाड़ी-झरिया गांव में देखने को मिला। यहां एक बैगा समाज की आदिवासी मां अपने बेटे की जान को खतरे में देखकर अपनी जान की परवाह किए बगैर खूंखार तेंदुआ से टकरा गई। मां के दुस्साहस के आगे आखिरकार तेंदुआ को हार माननी पड़ी और अंततः बालक को छोड़कर भाग खड़ा हुआ। इस तरह एक मां की जीत हुई।
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दरअसल 8 वर्षीय बालक राहुल बैगा पिता शंकर बैगा अपनी मां किरण बैगा के साथ ठंड से बचाने के लिए अलाव के सामने बैठा था। पीछे से अचानक तेंदुआ बच्चा राहुल को मुंह में दबोचकर उठाकर भागने लगा। ये देखकर मां बच्चे को बचाने के लिए चिल्लाती हुई अंधेरी रात में तेंदुए के पीछे-पीछे दौड़ने लगी।
एक किलोमीटर दूर तेंदुआ जंगल में ही एक जगह रुककर बालक को पंजो से दबोचकर बैठ गया। मां ने हिम्मत और साहस करके उसके पंजे से बच्चे को किसी तरह छुड़ाई और हल्ला गुहार की। फिर माँ ने अपने बच्चे को अपने बांहों में कसकर लिपटा ली। दूसरी बार तेंदुए ने फिर वार किया। मां ने हिम्मत दिखाते हुए उसे जोर से धकेल दिया। तब तक गाँव के लोग भी पहुंच गए। ये देखकर तेंदुआ उल्टे पांव जंगल की ओर भाग गया।
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महिला ने बताया कि इसके बाद मैं बेहोश हो गई जब मेरी आँखें खुली तो मैं अस्पताल में थी। घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग टमसार की टीम रात में ही घायल राहुल को कुसमी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अस्पताल पहुंचाया।
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