नितिन नामदेव, रायपुर। मां के चरणों में स्वर्ग हैं। उनके पैरों के नीचे की मिट्टी स्वर्ग की मिट्टी के समान है। मां एक पूर्ण शब्द है, अकट्य गंथ हैं, ममता का महाकाव्य है। उपरोक्त विचार तेरापंथ महिला मंडल की ओर से समायोजित मां की ममता, मां की महिमा सेमिनार में उपस्थित विशाल जनमेदनी को संबोधित करते हुए मुनिश्री सुधाकर ने जय समवसरण, टैगोर नगर स्थित लाल गंगा पटवा भवन में कहें।

मुनिश्री ने कहा कि मां ममता की मूरत है, समता की सूरत है, त्याग की प्रतिमूर्ति है। आकाश का कोई ओर-शोर नहीं है, वैसे ही मां की महिमा का अं​त नहीं है, वह अपार है, अमाप्य है। मां एक विश्वविद्यालय है। विश्व के सभी ग्रंथ और धर्म में मां की महिमा गाई गई है। मां की ममता अद्भुत, अद्वितीय, अप्रतिम है। मां त्यागमयी, दयामयी, क्षमामयी, सत्यमयी और स्नेहमयी होती है।

मां ही हमारे लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश

भावविभोर करने वाले भावों से मां की तुलना करते हुए मुनिश्री ने कहा कि सूर्य तो केवल प्रकाश करता है, लेकिन मां ने मुझे अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया, चांद में तो दाग है, पर मेरी मां तो बेदाग है। समुद्र विशाल होते हुए भी उसका पानी खारा है, परन्तु मां का दूध तो अमृत से भी मीठा है। मां अक्षर दो शब्दों के मिश्रण से बना है – म यानी महावीर, मोहम्मद, अ यानी आदेश्वर, आदिनाथ। मां हमें जन्म देती है, लालन-पालन करती है, उद्धार करती हैं, इसलिए मां ही हमारे लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश है।

वृद्धों को आश्रम की नहीं, आश्रय की जरूरत : मुनि नरेश कुमार

सम्पूर्ण धर्म परिषद् को विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए मुनिश्री ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में ऋषि मुनि ने चार आश्रम की व्यवस्था की थी। यह वृद्धाश्रम कहां से आया पता नहीं। यह हमारी संस्कृति व संस्कार का शब्द नहीं है। वृद्धाश्रम आयात शब्द है। पाश्चात्य देशों से आया है। वृद्धों को आश्रम की नहीं, आश्रय की जरूरत है। वृद्धाश्रम देश की अस्मिता पर कलंक है। जो अपने माता-पिता की सेवा नहीं कर सकते उन्हें जीवन में कभी सुख, शांति, प्रसन्नता नसीब नहीं हो सकती। मुनिश्री नरेश कुमार ने नमस्कार महामंत्र पर आधारित गीत का संगान किया

सेमिनार में विशेष रूप से आईएएस किरण कौशल उपस्थित थीं, उन्होंने मां विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। सेमिनार में दुर्ग, भिलाई के अलावा रायपुर के आदिश्वर बहुमंडल, मल्ली महिला मंडल, बीकानेर जिला, वासुपूज्य मनोहर महिला मंडल, आनंद बहुमंडल, अर्पण सेवा समिति, वनबंधु महिला समिति, शीतल बहु मंडल, जिनकुशल बहु मंडल की सदस्य समेत डिग्री गर्ल्स कालेज की प्रोफेसर उषा किरण उपस्थित थीं। स्वागत वक्तव्य नेहा जैन, संचालन/आभार मधुर बच्छावत के साथ गौतम गोलछा ने अपनी भावनाएं समाज की ओर से व्यक्त की। सेमिनार के प्रायोजक रितु सुरेन्द्र चौरड़िया थे।

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