नई दिल्ली. दिल्ली के मलिकपुर गांव की रहने वाली भगवानी देवी 29 वर्ष की थीं तब उनके पति की मौत हो गई. इसके बाद बच्चों की परवरिश और गृहस्थ जीवन में उनका अंतरराष्ट्रीय एथलीट बनने का सपना कहीं खो गया. लेकिन हाल ही में उन्होंने छह स्वर्ण पदक जीते हैं. यह संभव हो पाया उनके पोते विकास डागर के अपनी दादी मां की हौसला अफजाई से.

विकास डागर खुद अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट हैं. भगवानी ने पहले अपने सपने को पोते के जहन में उतारा. जब वह सफल एथलीट बन गया तो अब दादी का सपना पूरा करने में विकास ने उनकी मदद की. जून 2022 में भगवानी देवी फिनलैंड में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाएंगी.
भगवानी देवी ने 90 वर्ष से ऊपर की महिला आयु वर्ग 100 मीटर दौड़, शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर छह स्वर्ण प्राप्त किए हैं. उनके मुताबिक बचपन में वह कबड्डी खेला करतीं थी. उस समय का जज्बा और हिम्मत आज भी उनमें बरकरार है.

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भगवानी देवी के मुताबिक कुछ महीने पहले एक दिन शाम को उनके हाथ में पोते ने लोहे की गेंद (शॉटपुट) थमा दी और कहा कि दादी देखो कितना वजन है. इसके बाद मेरे मन में विचार आया कि क्यों ने मैं भी इसका अभ्यास करूं और अगले दिन सुबह पांच बजे पोते के पास गई और दोबारा से लोहे की गेंद मांगी. उन्होंने कहा कि मैं उसे लेकर मैदान में चली गई और अभ्यास करने लगी. लगातार अभ्यास में विकास ने काफी मदद की.

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