रोहित कश्यप, मुंगेली। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीजफायर की घोषणा हुई है, लेकिन सीमा पर हालात अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हैं. सीजफायर के कुछ ही घंटों के भीतर पाकिस्तान द्वारा उल्लंघन की खबरें सामने आईं. ऐसे माहौल में छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के एक छोटे से गांव कुरानकापा की एक मां, कमला चतुर्वेदी, का देशभक्ति से भरा जज़्बा पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गया है.

कमला चतुर्वेदी के दो बेटे, रंजन चतुर्वेदी और सुनील चतुर्वेदी, इस समय जम्मू-कश्मीर की सीमा पर तैनात हैं और देश की सेवा में जुटे हैं. मदर्स डे के मौके पर जब अधिकांश मांएं अपने बच्चों के साथ वक्त बिता रही हैं, कमला देवी ने अपने बेटों के फौज में होने को गर्व की बात बताया.

लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में उन्होंने कहा, “मेरे दो बेटे सीमा पर देश की सेवा कर रहे हैं. अगर जरूरत पड़ी, तो मैं अपने बाकी तीन बेटों को भी देश की सेवा में भेज दूंगी. मेरे लिए यही सबसे बड़ा गर्व और तोहफा है.”

कमला देवी के इस जज़्बे को उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी सराहा. उनके पति रेशमलाल चतुर्वेदी, बड़े भाई तारण दास चतुर्वेदी, पुत्र ऋषि चतुर्वेदी और चाचा ईश्वर चतुर्वेदी ने भी कहा कि यह पूरे परिवार, गांव और जिले के लिए फख्र की बात है.

जब एक ओर देश की सीमाएं अस्थिरता से घिरी हैं, वहीं मदर्स डे पर एक मां की यह भावना हमें यह याद दिलाती है कि देशभक्ति केवल सैनिकों में ही नहीं, बल्कि उन्हें जन्म देने वाली मांओं के हौसले में भी होती है. कमला चतुर्वेदी जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि असली मातृत्व सिर्फ पालन-पोषण तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्र की सेवा के लिए संकल्पबद्ध पीढ़ियां तैयार करने का जज़्बा भी उसमें शामिल होता है.