मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले में शिक्षा के नाम पर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। सरकारी स्कूलों की मरम्मत कागज पर कराकर 4 से 5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी कर ली गई है। इस पूरे घोटाले में ठेकेदारों से कहीं ज्यादा जूनियर इंजीनियर (JE) डीएमटी और डीपीओ की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जानकारी के अनुसार इन अधिकारियों ने मोटा कमीशन लेकर सरकारी खजाने की खुलकर लूट की और अब इस काली कमाई से राजधानी पटना में संपत्ति अर्जित कर रहे हैं। खुलासे में सामने आया है कि सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से जुड़े जूनियर इंजीनियरों ने कागजों पर मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जी बिल बनवाया। स्कूलों में वास्तविक रूप से कोई काम नहीं हुआ फिर भी भारी-भरकम भुगतान कराया गया। बताया जा रहा है कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड एक प्रमुख JE है जिसने न सिर्फ योजना बनाई बल्कि जिला से लेकर पटना तक अधिकारियों को मैनेज किया। इस JE की भूमिका इसलिए भी संदेह के घेरे में है क्योंकि भले ही वो संबंधित प्रखंड में पदस्थापित नहीं था लेकिन उसी की निगरानी में पूरा खेल रचा गया।

पत्नी के नाम खरीदी गई करोड़ों की जमीन

सूत्रों के मुताबिक इस JE ने सितंबर 2025 में पटना में पत्नी के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन की रजिस्ट्री कराई है। कहा जा रहा है कि यह संपत्ति हालिया घोटाले से अर्जित अवैध कमाई से खरीदी गई है। विभागीय अधिकारियों का भी कहना है कि पर्दे के पीछे से यही JE इस घोटाले का मास्टरमाइंड है जिसने डीएमटी और अन्य अधिकारियों को भी सेट किया।

डीईओ कार्यालय में भ्रष्टाचार का अड्डा

पूर्वी चंपारण के डीईओ कार्यालय में भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अधिकारी खुलासे के बाद भी सवालों से बचते नजर आ रहे हैं। जब एक वरिष्ठ अधिकारी से पूछा गया कि उनके जिले में इस तरह की निकासी क्यों हो रही है तो उन्होंने जवाब दिया क्या सिर्फ पूर्वी चंपारण ही बचा है देखने को? इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान यह साबित करते हैं कि सिस्टम पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है।

डीएमटी से सवाल पूछने पर फोन बंद

जब बीएसईआईडीसी के उप प्रबंधक तकनीकी (DMT) मुकुंद प्रसाद से मीडिया ने बात करना चाही तो उन्होंने खुद को बचाते हुए कहा कि हेडमास्टर सब झूठ बोल रहे हैं, लेकिन जब उनसे आगे सवाल पूछे गए तो उन्होंने फोन काट दिया और बाद में कॉल रिसीव करना भी बंद कर दिया। यानि खुद ही अपने जवाबों में फंसते नजर आए।

अब मरम्मत का दिखावा शुरू

मामला सामने आने के बाद अब आनन-फानन में स्कूलों में मरम्मत का दिखावा शुरू कर दिया गया है लेकिन सवाल वही हैं जब काम हुआ ही नहीं तो भुगतान कैसे हुआ? और इसका जिम्मेदार कौन है?