फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ में नवा छत्तीसगढ़ को गांधी के ग्राम स्वराज और राम राज के अनुरूप गढ़ा जा रहा है. भूपेश सरकार के कदम भी उसी ओर बढ़ रहे हैं जिस ओर गांधी देश को ले जाना चाहते रहे. गांधी का सपना ग्राम स्वराज का सपना था. गांधी का सपना ग्राम स्वराज वाले राम राज का था. इस सपने को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

गांधी का सपना रहा कि गाँव की बुनियाद मजबूत हो. गाँव आर्थिक तौर स्वालंबी बने. गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था हो. राज्य का विकास गाँव के रास्ते ही हो. इसी को आधार बनाकर भूपेश सरकार ने अपनी योजनाओं को तैयार किया. सरकार की योजनाएं ग्रामीण भारत की अभिनव योजनाएं कही जा सकती है. खास तौर पर सुराजी योजना के तहत नरवा-गरवा, घुरवा-बारी और गोधन न्याय योजना. इन दोनों ही योजनाओं से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुनियादी तौर पर मजबूती मिली है. इसके साथ-साथ खेती और किसानों को समुचित लाभ देने का काम भी सरकार ने किया है. इसका असर भी आज ग्रामीण विकास में देखा जा सकता है.

इन दो योजनाओं से बदली तस्वीर

गांधी जैसे गाँवों के विकास को लेकर सोचते रहे हैं वैसा ही कुछ करने और गढ़ने का काम भूपेश सरकार कर रही है. नरवा-गरवा, घुरवा-बारी अंतर्गत जहाँ सभी पंचायतों में गौठान निर्माण किए जा रहे हैं, तो वहीं गौठानों में तैयार किए जा रहे विभिन्न उत्पादों से महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार दिया जा रहा है. इसके साथ ही पशुओं का संरक्षण और संवर्धन भी हो रहा है.

सरकारी आँकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. इसमें से 6112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित और संचालित है. गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है, जिसके एवज में ग्रामीणों, पशुपालकों को 102 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है.

महिला समूहों को 39 करोड़ की आय

सरकार की प्राथमिकता यह है कि छत्तीसगढ़ को एक जैविक राज्य बना दिया जाए. इस दिशा में सरकार ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है. सरकार जैविक खाद निर्माण पर काम कर रही है. राज्य भर में बीते एक साल में अब तक 12 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया. इन खादों का विक्रय भी किया जा चुका है. जैविक खाद के निर्माण और विक्रय का काम महिला समूहों को दिया गया है. इससे समूहों को न सिर्फ रोजगार मिला है, बल्कि ठीक-ठाक मुनाफा हो रहा है. आँकड़ों के मुताबिक गौठानों से जुड़े महिला समूहों को अब तक करीब 39 करोड़ की आय हो चुकी है.

आत्मनिर्भता की ओर एक कदम और

छत्तीसगढ़ में अब तक भूपेश सरकार ने गोबर से बिजली बनाने की शुरुआत कर दी है.
इसके लिए पहले चरण में बेमेतरा जिले के राखी, दुर्ग के सिकोला और रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाई गई है. एक यूनिट से 85 क्यूबिक घन मीटर गैस बनेगी. चूंकि एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट बिजलरी का उत्पादन होता है. इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट बिजली का उत्पादन होगा. इस प्रकार तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों से लगभग 460 किलोवाट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा. गोबर से बिजली उत्पादन गाँवों में आत्मनिर्भता की एक और सशक्त कदम है. इससे ग्रामीणों की जहाँ आय बढ़ेगी वहीं बिजली पर निर्भता भी खत्म होगी.

वर्धा की तरह नवा रायपुर में सेवाग्राम

सेवा ग्राम के लिए नवा-रायपुर 76.5 एकड़ की जमीन चिन्हांकित की गई है. यह स्थान नया रायपुर के लेयर वन से लगा हुआ है. इस स्थल में लगभग पांच एकड़ क्षेत्र में दो नहर भी है. शेष 75 एकड़ भूमि में सेवा ग्राम बसाया जाएगा. सेवा ग्राम को इस ढंग से विकसित किया जाएगा कि वहां छत्तीसगढ़ की परंपरागत ग्रामीण भवन शैली की झलक दिखें. निर्माण कार्यों में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध निर्माण सामग्री का उपयोग होगा. आश्रम के अंदर की सड़के भी ग्रामीण परिवेश के अनुरूप होंगी। सेवा ग्राम तक पूरा क्षेत्र हरियाली से भरपूर रहेगा. आश्रम का पूरा वातावरण आत्मिक शांति प्रदान करेगा.

अब 21वीं सदी में महात्मा गांधी के उन्हीं सपनों के अनुरूप ग्राम-सुधार के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए नवा-रायपुर में सेवा-ग्राम की स्थापना की जा रही है. इस सेवा-ग्राम का निर्माण मिट्टी, चूना, पत्थर जैसी प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करते हुए किया जाएगा. यह परियोजना गांधी-दर्शन को याद रखने और सीखने की प्रेरणा देगी. साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन की यादों और राष्ट्रीय इतिहास को भी इसके माध्यम से जीवंत रखा जा सकेगा.

रायपुर में प्रस्तावित सेवाग्राम में गांधीवादी सिद्धांतों, ग्रामीण कला और शिल्प के केंद्र विकसित किए जाएंगे, जहां अतिथि विषय-विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा. साथ ही वहां वृद्धाश्रम तथा वंचितों के लिए स्कूल भी स्थापित किए जाएंगे. इसका उद्देश्य पर्यटन के अवसरों को बढ़ा देकर, छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं को प्रोत्साहन देकर, बुजुर्गों को दूसरा-घर देकर और वैचारिक आदान-प्रदान के लिए छत्तीसगढ़ में एक विश्वस्तरीय व्यवस्था का निर्माण करके स्थानीय लोगों का सशक्तिकरण करना है. सेवा-ग्राम में प्रस्तावित विजिटर्स सेंटर सीखने, निर्वाह करने और गांधी के सिद्धांतों का स्मरण करने का केंद्र जगह होगा.

छत्तीसगढ़ अपनी विशिष्ट कला और शिल्प के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के बस्तर, रायगढ़ और अन्य जिलों में बेल मेटल, लौह, टेराकोटा, पत्थर, कपड़े और बांस का उपयोग करके विभिन्न कलात्मक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है. सेवाग्राम एक ऐसा स्थान होगा जहां आगंतुक स्थानीय कला और शिल्प, स्थानीय व्यंजनों को बारे में जान सकेंगे. अपनी जानकारियों और अनुभवों को साझा कर सकेंगे. सेवा ग्राम में एक ओपन थियेटर भी होगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

ग्राम स्वराज की संकल्पना गांधी जी की वैचारिक क्रांति थी- भूपेश बघेल

गांधी सेवा ग्राम के स्वरूप और संचालन के संबंध में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ग्राम स्वराज की संकल्पना गांधी जी की वैचारिक क्रांति थी, ग्राम स्वराज को वर्तमान में किस प्रकार आर्थिक आजादी से जोड़े इस पर कार्य करना होगा। युवाओं को प्रशिक्षित करने के साथ ही रोजगारोन्मूलक गतिविधियों से संबद्ध करना होगा। उन्होंने कहा कि गांधी सेवा ग्राम गांधी जी की विचारधारा को सीखने के माध्यम बने यह हमारा प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में शुरू किए गए राजीव गांधी युवा मितान क्लब के सदस्यों को गांधी सेवा ग्राम से जोड़ा जाए. इसी प्रकार देश भर के युवाओं को गांधी सेवा ग्राम का भ्रमण कराया जाए. उन्होंने गांधी सेवा ग्राम को सस्टेनेबल बनाने की दिशा में प्रयास करने की बात कही.

उन्होंने कहा कि गांधी जी का सामूहिक श्रम पर जोर रहा है. सेवाग्राम में सामूहिक गतिविधि और कार्यों को विशेष रूप से प्राथमिकता दी जाए. सामूहिक गतिविधियों-युवाओं की समाज और देश निर्माण में भागीदारी, स्वच्छता, ग्राम सभा और रोजगारपरक शिक्षा पर मुख्य फोकस होना चाहिए.

गाँधी के सपनों को गढ़ता हुआ छत्तीसगढ़ आज देश-दुनिया में कई मोर्चों पर नंबर वन राज्य बन चुका है. राज्य सरकार ने जिस तरह तमाम योजनाओं पर धरातल पर उताकर उसका अंतिम व्यक्ति क्रियान्वयन कराया उसका असर समूचे राज्य में देखा जा सकता है. भूपेश सरकार ने महज तीन साल के अपने कार्यकाल में ग्रामीण छत्तीसगढ़ को सबसे सशक्त छत्तीसगढ़ में बदलने का कर दिया है. आदिवासी बाहुल्य राज्य में तेंदूपत्ता की रिकॉर्ड खरीदी, 4 हजार प्रति मानक बोरा समर्थन मूल्य, संग्राहकों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन, 52 लघु वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर, आदिवासियों की जमीन वापसी, मनरेगा देश भर सर्वाधिक काम, तेजी से भुगतान. इन सब मोर्चों पर छत्तीसगढ़ देश भर में नंबर वन रहा है. गाँवों की तरक्की ही गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करते है.