शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल के हमीदिया अस्पताल में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड को बड़ा झटका लगा है। इस पीपीपी मोड के माध्यम से बीते आठ साल से संचालित हो रही सीटी स्कैन व एमआरआई जांच अब बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। गरीब मरीजों के लिए यह एक सस्ती सुविधा है, जिसमें बाजार से कम दरों पर महंगी जांचें हो जाती हैं। लेकिन अब गांधी मेडिकल कॉलेज ने गरीब मरीजों से यह सुविधा छीनने का फैसला ले लिया है। जानकारी अनुसार वर्ष 2017 में फाल्गुनी मेसर्स को पीपीपी मोड के तहत जीएमसी में सीटी स्कैन एवं एमआरआई जांच का ठेका मिला था। यह ठेका आगामी दस वर्षों के लिए था। ठेका शर्तों में कंपनी को बाजार से कम दरों पर उक्त मशीनों से विभिन्न प्रकार की जांचें उपलब्ध कराना थी।

7 करोड़ से ज्यादा का भुगतान रोका

कंपनी की तरफ से बताया गया है कि जीएमसी प्रबंधन ने वर्ष 2023 से भुगतान रोक रखा है। करीब दो साल में सात करोड़ रुपए से अधिक का बिल बन गया है। लेकिन प्रबंधन भुगतान की फाइल को आगे नहीं बढ़ा रहा।

सेंटर के बाहर गार्ड बैठाए रिपोर्टिंग बंद

हमीदिया अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में सीटी स्कैन व एमआरआई जांच सेंटर स्थापित है। इसे बंद करने के लिए जीएमसी प्रबंधन नए नए हथकंडे अपना रहा है। सबसे पहले तो रेडियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की ड्यूटी यहां रोक दी गई है। साथ ही इस सेंटर पर होने वाली सभी प्रकार की जांचों की रिपोर्टिंग भी हमीदिया के चिकित्सकों द्वारा नहीं की जा रही। सेंटर को मजबूरी में बाहरी चिकित्सक की मदद लेना पड़ रही है। दूसरी ओर जीएमसी प्रबंधन ने सेंटर के बाहर गार्ड तैनात कर दिए हैं। यदि कोई मरीज अपनी मर्जी से यहां आना भी चाहे तो गार्ड उसको लौटा देते हैं, गार्ड कहते हैं यह सेंटर खराब है, आप बाहर से जांच करा लें।

मरीजों की सुविधा से खिलवाड़

दरअसल, यह पूरा मामला हमीदिया अस्पताल में आई नई सीटी स्कैन व एमआरआई जांच मशीन के बाद शुरू हुआ है। शासन ने जीएमसी को दोनों मशीनें खरीदकर दी हैं। जीएमसी प्रबंधन अब इन मशीनों को संचालित करने में व्यस्त हो गया है, लेकिन बीते सात साल से जिस पीपीपी मोड के सहारे मरीजों की जांचें की जा रहीं थी, उसे एक झटके में बाहर करने पर अड़ गया है।

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