कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा सकती है, क्योंकि आगामी 15 दिन बाद एनएचएम संविदा आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के आह्वान पर बड़ा प्रदर्शन होने जा रहा है। प्रदेशभर के 12 हजार से ज्यादा कर्मचारी भोपाल में जुटेंगे और सभी मंत्रियों और विधायकों के आवास का घेराव करेंगे। उन्हें ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को जल्द पूरा करने की बात रखेंगे। एनएचएम संविदा आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने NHM की मिशन संचालक प्रियंका दास को मांग पूरी करने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है।

दरअसल एनएचएम संविदा आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अंतर्गत प्रदेश के 12 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी आते है। जो अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर हल्ला बोल की तैयारी में है। ये है इनकी मांगे…विगत कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अधीन सेवाए दे चुके प्रदेश के हजारों सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स में किए गए सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए अथवा पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए। आउटसोर्स के डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं अन्य आउटसोर्स कर्मचारी एवं रोगी कल्याण समिति के कर्मचारियों को भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए।

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वित्तीय वर्ष 2019 से मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आदेश के अनुसार सभी जिलों में आउटसोर्स कंपनियों के द्वारा अर्ध कुशल श्रमिक दर वेतन दिए जाने के आदेश सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक को दिए गए थे, लेकिन 5 वर्ष बाद भी अर्ध कुशल श्रमिक दर से भुगतान न करते हुए मात्रा 5500 रुपए से लेकर 9000 तक दिए जा रहे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक एवं आउटसोर्स कंपनी की मिली भगत से हर महीने आउटसोर्स कर्मचारी की मानदेय में करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है। जिसकी सीबीआई जांच एजेंसी द्वारा जांच कराई जाए। जांच के बाद संबंधित अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ शक्ति से सख्त कार्रवाई की जाए एवं आउटसोर्स कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया जाए।

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गौरतलब है कि कर्मचारियों की मांगों को यदि पूरा नहीं किया गया तो अल्टीमेटम के मुताबिक 15 दिन बाद भोपाल में एनएचएम संविदा आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले बड़ा प्रदर्शन हो सकता है। जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ेगा। हालांकि मिशन संचालक प्रियंका दास और कर्मचारी यूनियन के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ है। जिसके तहत उन्हें आश्वासन दिया गया है कि आगामी 10 से 12 दिन के अंदर उनकी सभी मांगों पर शासन विचार करके उन्हें पूरा करने की कोशिश करेगा।

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