मनीष मारू, आगर मालवा। मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा स्थित प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। मंदिर में भक्तों की आस्था से खिलवाड़ करते हुए यज्ञशाला में खंडित हवन कुंडों पर ही हवन कराए जा रहे हैं। जबकि सनातन धर्म में खंडित हवन कुंड पर हवन करना पूर्णतः वर्जित माना जाता है। माता के इस प्रसिद्ध मंदिर में देश-विदेश से प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन और हवन के लिए पहुंचते है। मंदिर परिसर में प्रतिदिन सैकड़ों हवन अनुष्ठान संपन्न होते हैं। हवन अनुष्ठान कराने वाले भक्तों से प्रति हवन के लिए 350 रुपए का शुल्क मंदिर समिति वसूलाता है। इसके बाद भी जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते हवन कुंडों का भी रख रखाव सही तरीके से नहीं किया जा रहा है।
नलखेड़ा स्थित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर में आस्था और विश्वास को लेकर प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। जिनमें से सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए सिद्धपीठ पर स्थित यज्ञशाला में हवन अनुष्ठान भी करते हैं। सिद्धपीठ पर हवन अनुष्ठान करने के लिए समिति द्वारा हवन कुंड किराए के नाम पर 350 रुपए भी वसूल करती है। जिसके बदले में सामान्य दिनों में डेढ़ घंटे व पर्वो के दिनों में आधा से एक घंटा उन्हें हवन करने की अनुमति दी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि मंदिर प्रबंध समिति हवन कुंड का किराया वसूल रही है तो धर्म के विपरीत, धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए भक्तों से खंडित हवन कुंडों पर हवन अनुष्ठान क्यों करवा रही है।
मंदिर परिसर में स्थित यज्ञशाला में स्थित हवन कुंडों में से कई हवन कुंडों में दरारें पड़ रही है, तो कई हवन कुंडों में लगी ईंटे टूटी हुई है। इन्ही खंडित हवन कुंडों पर प्रतिदिन भक्त हवन अनुष्ठान करने को मजबूर भी हो रहे हैं। सवाल उठता है कि मंदिर प्रबंध समिति जब हवन कुंडों का किराया वसूल रही है तो नियमित रूप से हवन कुंडों का रखरखाव क्यों नहीं करवाती है। जिस समय कोई हवन कुंड खंडित दिखाई दे, उस पर हवन अनुष्ठान बंद करवा कर तत्काल उसे धर्म के अनुरूप दुरुस्त क्यों नहीं करवाती है। वर्तमान में मंदिर प्रबंध समिति को इन हवन कुंडों के किराए से बड़ी धनराशि की आय हो रही है, तो फिर समिति एक कर्मचारी की नियुक्ति इसी कार्य के लिए क्यों नहीं कर रही है।
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