सुनील जोशी, अलीराजपुर। जीवन यापन के लिए जब दिक्कत होने लगती है तो व्यक्ति की मेहनत के साथ ईश्वर उसको कोई न कोई रास्ता दिखा ही देता है। कभी 2 जून की रोटी को तरसने वाली महिला अब अपने लोडिंग रिक्शा की मालिक बनकर अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने में जुटी हैं।

यह कहानी अलीराजपुर के उदयगढ़ विकासखंड के ग्राम इटारा के मनीषा की है। मनीषा जिले की पहली महिला है, जो खुद कल्याणी होने के बावजूद रिक्शा चलाकर सब्जी बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है। मनीषा ने अपने पास की चांदी गिरवी रखकर एक लोडिंग रिक्शा लिया और फिर आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम बढ़ा दिये।

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मनीषा ने अपने पास की चांदी गिरवी रखकर एक सेकंड हैंड लोडिंग रिक्शा लिया है, जिससे वह सुबह 4 बजे उठकर अपने गांव से 22 किलोमीटर दूर अलीराजपुर जाती है और वहीं से सब्जी बेचते हुए अपने घर लौटती है। दिनभर की मेहनत के बाद उसे 200 से 300 रुपये की कमाई हो जाती है। जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण करती है। आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए यह एक मिसाल है। जिसने अपने हौसले और जज्बे से अपने बच्चों के लिए माता-पिता दोनों का फर्ज निभाया।

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