दीपक ताम्रकार, डिंडोरी। मध्य प्रदेश के आदिवासी जिला डिंडोरी में 40 मतदान केंद्र संवेदनशील (नक्सल प्रभावित) थे। इन मतदान केंद्रों में सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक वोटिंग हुई। कई वन ग्राम जहां नेटवर्क की समस्या थी, वहां मतदान दल बिना किसी भय और परेशानी के मतदान करवारकर शाम को कलेक्ट्रेट ग्राउंड पहुंचे। जहां जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर ने सभी को माला पहनाकर स्वागत किया। नक्सल प्रभावित वन ग्राम खमेरा में 82 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है। जो यह दर्शाती है कि लोकतंत्र के महापर्व के आगे नक्सल का खौफ बेअसर है।

आज शाम पीठासीन अधिकारी रामदीन मार्को अपने दल के साथ वोटिंग मशीन सहित अन्य सामग्री लिए नक्सल प्रभावित मतदान केंद्र खमेरा से लौटे। जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर विकास मिश्रा ने दल का ऐसा भव्य स्वागत किया मानो कोई जंग जीत के आ रहे हो। चुनाव दल को कोई फूलों की माला पहना रहा है, कोई टीका लगा रहा है तो कोई गिफ्ट बांट रहा है। पीठासीन अधिकारी ने बताया कि जंगल मे हमारा बूथ था। वहां मतदान कराने में काेई समस्या नहीं आई। मतदाताओं में मतदान को लेकर जबरदस्त उत्साह था। सुबह से ही वोट डालने के लिए लंबी लाइन लग गई थी।

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जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर मिश्रा ने कहा कि संवेदनशील मतदान केंद्र से सफल मतदान कराकर लौटा हमारा दल किसी योद्धा से कम नहीं है। इसीलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि उनका स्वागत भी उसी तरह से किया जाए जैसे युद्ध से लौटे किसी योद्धा का होता है। उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाका खमेरा में 85 प्रतिशत वोटिंग होना दर्शाता है कि वहां नक्सलवाद की कोई जगह नहीं है। हमने मेडिकल के हिसाब से नक्सल क्षेत्रों के लिए हेलीकाप्टर भी व्यवस्था की थी। लोकतंत्र के असल प्रहरी यही है जिन्होंने जनता का विश्वास जीता है और सफल मतदान करवाकर लौटे हैं। यह महापर्व को हमेशा लोग याद रखे इसी के चलते यह व्यवस्था की गई है।

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