राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्यप्रदेश में मिशन-2023 की तैयारियां जोरों पर हैं. इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों में टिकट वितरण में सिर्फ और सिर्फ सर्वे की चलने वाली है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि सियासी कुर्सी बचाने की जुगत में जुटी बीजेपी और 2018 की तरह सत्ता वापसी के प्रयास में जुटी कांग्रेस के समीकरण कर रहे हैं. चुनावी समर में विजयी होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे दोनों के केंद्रीय नेतृत्व ने तय कर लिया है कि इस बार नेताओं की सिफारिश पर नहीं बल्कि सर्वे के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे.

सर्वे में नाम, तभी मिलेगा टिकट

दरअसल टिकट वितरण के सर्वे के औसत में आपका नाम नंबर वन पर है, तो आपका टिकट फाइनल है, क्योंकि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार आला नेताओं की नहीं बल्कि सिर्फ सर्वे की चलेगी. ऐसा इसलिए हो रहा कि टिकट आला नेताओं के अनुयायियों को नहीं बल्कि सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने वाले प्रत्याशी यानी जीतने वाले कैंडिडेट को ही मिले. टिकट की दौड़ में शामिल दोनों की दलों के नेताओं को यह स्थिति स्पष्ट कर दी है. हालांकि ऐसा नहीं है कि बीजेपी-कांग्रेस ने इसकी तैयारी हाल ही में की हो, बल्कि प्रदेश में बीच में हुई सत्ता परिवर्तन और उपचुनाव के बाद से ही बीजेपी-कांग्रेस ने इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. इसी वजह से 2021 से ही दोनों दलों की ओर से विधायक और दावेदारों को लेकर हर तीन-चार महीने में सर्वे कराया जा रहा था. अब दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि सर्वे ही सर्वेसर्वा है.

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बीजेपी का सर्वे

  • विधायकों की स्थिति, दावेदारों की स्थिति को लेकर संघ कई बार सर्वे कराकर बीजेपी को रिपोर्ट सौंप चुका है.
  • बीजेपी की ओर से कई स्तर पर सर्वे हुआ है और आगे भी होगा. केंद्रीय टीमों के साथ सरकार और प्रदेश संगठन सर्वे करा चुका है.
  • इंटेलीजेंस भी समय समय पर सरकार को विधायकों का फीड-बैक देती है.
  • खुद के आंकलन के लिए कुछ विधायक और विधायक पद के दावेदारों ने भी निजी एजेंसियों से अपना सर्वे करवाया है.

कांग्रेस का सर्वे

  • कांग्रेस में सबसे अहम सर्वे पीसीसी चीफ कमलनाथ का है. कमलनाथ कभी तीन महीने में तो कभी महीनेभर में विधायकों की जमीनी रिपोर्ट उनके सामने रखते आए हैं.
  • कमलनाथ संगठन के दूसरे नंबर के नेताओं से भी विधायक और दावेदारों को रिपोर्ट लेते रहते हैं.
  • कांग्रेस की केंद्रीय टीम ने भी मध्य प्रदेश में सर्वे किया है.
  • कांग्रेस के कुछ विधायक और दावेदार भी अपना सर्वे कराकर बैठे हुए हैं.
  • कांग्रेस का दावा है कि पार्टी में सर्वे को प्राथमिकता दी जाती है. इसी दम पर कांग्रेस 2018 के चुनाव में सत्ता में पहुंची थी.

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मतदाता लगाएंगे अंतिम मुहर

इन सर्व के अलावा निजी एजेसियां भी चुनावी समीकरणों को लेकर अपना सर्वे कर रही हैं. दोनों प्रमुख दलों की इन एजेंसियों के सर्वे पर भी निगाह टिकी है. इन तमाम सर्वे के औसत में अव्वल आने वालों को ही टिकट देने की तैयारी है, लेकिन इस फाॅमूले के सर्वेसर्वा तो मतदाता हैं, जो मत का उपयोग कर सर्वे के समीकरणों पर अंतिम मोहर लगाएंगे.

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