नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्यप्रदेश के बालाघाट में मैग्नीज माइंस से एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। एक निजी कंपनी के कुछ मजदूर जिन्हें उस कार्य का ना तो अनुभव है और ना ही उनके पास माइंस प्रबंधक ने उस कार्य को करने का अनुभव प्रमाण पत्र दिया गया है। फिर भी वे उस कार्य करवा रहे हैं। इसका वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है।

मजदूरों की जान से खिलवाड़
जिले की मैग्नीज माइंस की जो मैग्नीज और इंडिया लिमिटेड बालाघाट खान के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यालय से महज 5 किमी दूर भरवेली ग्राम में संचालित है। यह एशिया में सबसे बड़ी मैग्नीज उत्पादन माइंस है, जहां मजदूरों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिसका वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चाइना कोल थ्री नाम की एक निजी कंपनी में कार्यरत यह मजदूर बेलमेन का कार्य कर रहा है। वहीं दूसरे वीडियो में एक मजदूर दोनों हाथों में बारूद के भंडार से बारूद लाता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे कार्य एक कुशल श्रमिक ही करता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है।

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वीटी और मेडिकल होना आवश्यक
बेलमेन कार्य उस मशीन को ऑपरेट कर रहा है जो माइंस में कार्यरत मजदूरों को अंडरग्राउंड ले जाने और लाने का कार्य करती है। जिसे घंटी (bell) के इशारे से ऑपरेट किया जाता है, यह काफी जोखिम भरा कार्य है। वहीं बारूद के लिए कुशल श्रमिक जिनका वीटी और मेडिकल होना अतिआवश्यक है। दरअसल बारूद का उपयोग अंडरग्राउंड में दगान (ब्लास्टिंग) के लिए होता है जोकि काफी अहम कार्य है। इसके बाद भी बिना वीटी मेडिकल और बिना अनुभव प्रमाण पत्र के निजी कंपनियों के मजदूरों को यह कार्य कराया जा रहा है। इस प्रकार का कार्य माइन मैनेजमेंट की एक बड़ी लापरवाही को दर्शाता है

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माइन मैनेजमेंट पर कई तरह खडे हो रहे सवाल
एक अहम और रिस्की कार्य यहां अकुशल श्रमिक करते दिखाई दे रहे है। निश्चित ही इससे एक बड़ी दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है। सोशल मीडिया में वायरल वीडियो के बाद अब माइन मैनेजमेंट पर कई तरह के सवाल खडे हो रहे हैं। साथ ही खदान ठेका श्रमिक संगठन में भी अब काफी रोष व्याप्त किया है। उन्होंने माइंस मैनेजर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मैनेजर अपने स्वार्थ के चलते निजी कंपनियों से साठगांठ कर मजदूरों से बिना मेडिकल के कम वेतन में कार्य कराया जा रहा है और उनका शोषण भी किया जा रहा है। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस बात को लेकर और साथ ही अन्य मांगों को लेकर जब वे माइंस मैनेजर से चर्चा करने पहुंचे तो मैनेजर ने उनकी बातों को अनसुना करते हुए उन्हें वहां से भगा दिया।

खान प्रबंधन को कोई जानकारी नहीं
डेढ़ साल से चल रहे इस गंभीर मामले में बड़ी लापरवाही और चूक सामने आने के बाद भी बालाघाट खनन प्रबंधन को कोई जानकारी नहीं है। असल में मॉयल में बाहरी लोग पूरी तरह वर्जित हैं और केंद्रीय खनन नियम का पालन करना अनिवार्य है पर प्रबंधन के संरक्षण से नियम का पालन नहीं हो रहा है।

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