शंकर राय, बैतूल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले में आदिवासी समुदाय का एक सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया था। अब सामूहिक विवाह पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। चर्चा की वजह भी खास है, क्योंकि इस समारोह के आयोजक खुद एक मजदूर परिवार का है। लेकिन उसने 63 विवाहित जोड़ों को अपनी निजी जमीन में से एक एक आवासीय प्लॉट गिफ्ट किया है। गिफ्ट किए गए 63 प्लाटों की कीमत 2 करोड़ 30 लाख से अधिक है। आयोजक हेमंत सरयाम आदिवासियों के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा के लिए काम करते हैं। जनजातीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने ये अनूठा आयोजन किया ।

आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का मकसद

अगर बात दानवीरता की हो तो आमतौर पर आर्थिक रूप से मजबूत लोग भी सोच समझकर दान करते हैं, लेकिन बैतूल के एक आदिवासी समाजसेवी हेमंत सरयाम इस मामले में बाजी मार गए हैं। जो खुद एक मजदूर परिवार से ताल्लुक रखते हुए भी बड़े दानवीर निकले। हेमन्त ने अपने खर्च पर 100 आदिवासी जोड़ों के लिए एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किया। साथ ही हर जोड़े को बतौर गिफ्ट 25×30 यानि 750 स्क्वायर फीट का एक एक आवासीय प्लांट दिया है। हेमंत ने इस तरह करीब 2 करोड़ 31 लाख की निजी जमीन दान कर दी। उनका मकसद आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी जोड़ो को मजबूत बनाने का है।

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दुल्हन के नाम किए गए प्लाट

हेमंत के पास खुद सर्फ 8 एकड़ जमीन हैं, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है। दान में दिए गए प्लाट दुल्हन के नाम किए गए हैं। जिससे वो अपने घर की मालकिन बने और परिवार अपनी कमाई से खुशी खुशी रह सके। ऐसा नायाब गिफ्ट पाकर विवाहित जोड़ों की खुशी का ठिकाना नहीं है। शादी करने आए हर जोड़े के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।

दानवीरता की हो रही तारीफ

हर शहर की तरह बैतूल में भी कई करोड़पति रहते हैं, लेकिन आज तक ऐसा भू-दान किसी ने नहीं किया। शादी करने आए जोड़ों ने कभी सोचा भी नहीं था कि शादी की खुशी के साथ कभी उनको गिफ्ट में प्लाट भी मिलेंगे । बैतूल का पूरा आदिवासी समुदाय इस दानवीरता के लिए हेमंत सरयाम की तारीफ कर रहा है।

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दानदाता हेमंत सरयाम

आदिवासी रीति-रिवाज के साथ हुई शादी

इस विवाह समारोह की खास बात ये भी रही कि पूरा आयोजन आदिवासी रीति-रिवाज के साथ जनजातीय समुदाय के इष्ट देवता मुठवा देव को साक्षी मानकर बेहद सादगी से सम्पन्न हुआ। इस अनूठे विवाह की चर्चा अब बैतूल सहित पूरे प्रदेश में हो रही है। अगर ऐसे ही दानवीर लोग समाज मे आगे आते हैं तो कमजोर वर्गों को सक्षम बनाने में सरकारों का काम बेहद आसान हो सकता है।

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