अमित पवार, बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के कई गांवों में जल-जीवन मिशन की योजनाएं पूरी होने के बाद भी ग्रामीण बैक्टीरिया युक्त मटमैला पानी पीने को मजबूर हैं. गंदा पानी पीने से अधिकतर ग्रामीण बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं. जल-जीवन मिशन में हो रहे भ्रष्टाचार ने समस्या को और बढ़ा दिया है. ग्राम बोरिकास में हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि ग्रामीणों को पानी का सैंपल जिला मुख्यालय तक ले जाकर प्रशासन को दिखाना पड़ा.

जिले में ताप्ती नदी के किनारे बसे ग्राम बोरिकास के बाशिंदे इन दिनों मटमैला बैक्टीरिया युक्त पानी पीकर तरह-तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं. पिछले एक-डेढ़ महीने से तो हालात बहुत बदतर है. पीने का पानी लेने ग्रामीणों को कई मील दूर जाना पड़ता है. जो हैंडपंप गांव के अंदर है, उसका पानी फ्लोराइड और कचरे से भरा हुआ है. जिससे ग्रामीण बीमार हो रहे हैं.

सैकड़ों अन्य गांवों की तरह ग्राम बोरिकास में भी जल-जीवन मिशन के तहत 50 हजार लीटर क्षमता की टंकी का निर्माण किया गया है. हर घर तक पाइप लाइन बिछाई गई है, लेकिन पानी का पता ठिकाना नहीं है. इसलिए जलजीवन मिशन ग्रामीणों के लिए केवल कागजी योजना साबित हो रही है.

समस्या से जूझते हुए दो महीने बीत जाने के बावजूद जब कोई हल नहीं निकला तो ग्रामीण पानी का सैंपल लेकर कलेक्टर कार्यालय भी गए. आनन-फानन में प्रशासन ने गांव में टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था कर दी. लेकिन जल-जीवन मिशन पर आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. पीएचई विभाग के अधिकारी रवि वर्मा कहते हैं कि बोरिकास गांव में एक ट्रांसफार्मर खराब होने से जलापूर्ति रुकी है. जिसे दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है.

बोरिकास गांव केवल एक उदाहरण है जबकि बैतूल जिले में ऐसे दर्जनों गांव हैं. जहां जल-जीवन मिशन योजना तो पहुंच गई, लेकिन लोगों के घर तक पानी नहीं पहुंचा पाया है. पिछले कुछ दिनों से बैतूल के कई गांवों में मौसमी बीमारियों और चर्म रोग फैलने से लोग परेशान हैं और अगर ग्रामीण ऐसा मटमैला दूषित पेयजल पीएंगे तो हालात और बदतर हो सकते हैं.

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