धर्मेंद्र ओझा, भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां कैंसर होने के बाद एक बुजुर्ग शख्स को इलाज के लिए अपना घर तक बेचना पड़ गया। यहां तो ठीक था, लेकिन इतनी गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को तब बड़ा धक्का लगा, जब उसके परिवार वालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। जैसे-तैसे वो इस बीमारी से तो जंग जीत गया, लेकिन अपने ही परिवार के बेगाने व्यवहार से अंदर तक टूट गया।     

पत्नी और बच्चों ने छोड़ा साथ 

दरअसल मामला भिंड जिले के रौन का है, जहां कृपा शंकर को कैंसर की बीमारी हो गई थी।  कैंसर का इलाज कराने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे तो उसने अपना घर बेचकर कैंसर का इलाज करवाया। कृपा शंकर कैंसर की बीमारी से तो ठीक हो गए थे। लेकिन पैसा अधिक लगने से घर से बेघर हो गए और रोड पर आ गए। उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि दो  वक्त का भोजन बनवा ले। पैसों की तंगी देखकर पत्नी और बेटे ने साथ छोड़ दिया। कृपा शंकर की पत्नी अपने पति को छोड़कर अपने मां बाप के घर चली गई।  

झोपड़ी में काट रहे दिन 

कृपा शंकर के पास एक बेटा था, जोकी गम की वजह से शराबी हो गया। कृपा शंकर जब अपने ससुराल पहुंचे तो बीवी और बच्चों ने उन्हें लात मार मार कर भगा दिया। कृपा शंकर रौन में थाने के सामने झोपड़ी बनाकर अपना जीवन गुजार रहे हैं। कृपा शंकर के पास कोई आमदनी नहीं है, वो शासन की योजनाओं से भी वंचित हैं। उन्हें केवल 600 रुपया की पेंशन मिलती है, जिससे वह अपने एक महीने का भरण पोषण करते हैं। 

भीख मांग कर करना पड़ रहा गुजरा 

पड़ोस में रहने वाले पड़ोसियों के माध्यम से कृपा शंकर को सुबह शाम का भोजन मिल जाता है। कृपा शंकर ने एक बार संबंधित अधिकारियों को आवेदन देने गए तो गंदे कपड़ों की बदबू आ रही थी तो अधिकारियों ने अपने चैंबर से उन्हें भगा दिया। यदि शासन की योजना से कृपा शंकर को आवास मिल जाता तो वह अपना जीवन रोड पर क्यों गुजारते?  कृपा शंकर थाने के सामने बैठकर दोनों हाथों से राहगीरों से भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहे हैं। अब कृपा शंकर राहगीरों से रो-रोकर यही कहते हैं कि अब तो दो माह और जिंदा रहेंगे। उसके बाद में   मेरी मृत्यु हो जाएगी। अब देखना यह होगा कि संबंधित अधिकारी कृपा शंकर की क्या मदद करेंगे। 

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