एनके भटेले, भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड (Bhind) जिले में आम जनमानस शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहा हैं। 5 साल पहले प्रदेश सरकार को अमृत योजना (Amrit Yojana) के तहत शहर में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था। जिसके लिए शहर के सभी 39 वार्ड में सड़कें खोदी गई। घर-घर तक आरओ वाटर (RO Water) उपलब्ध कराने के लिए एमपी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी ने टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड ठेका दिया था।

पांच साल गुजर जाने के बाद भी शहरवासियों को शुद्ध पेयजल मिलना नसीब नहीं हुआ, लेकिन पाइप लाइन बिछाने के लिए शहर भर में खुदाई की गई है। जिससे गंदगी और आने जाने की परेशानी से बीते 5 साल से लोग जूझ रहे है। इसी परेशानी को देखते हुए भिंड नगरपालिका के सीएमओ ने आज मीटिंग के दौरान टाटा कंपनी पर 50 लाख रुपए का जुर्माना आरोपित किया है।

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दरअसल, अमृत योजना का टेंडर होने के बाद इस योजना की समय सीमा 28 महीने तय की गई थी और उसकी लागत 197 करोड रुपए थी। 10 वर्षों तक रख रखाव के लिए 71 करोड़ की राशि तय की गई थी। जिसे योजना की कीमत 126 करोड़ों रुपए 2018 में लागत थी, लेकिन टाटा कंपनी ने टेंडर को रिवाइव कर समय सीमा 46 महीने और कुल लागत 143 करोड़ बढ़ाकर कर दी।

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मार्च 2022 में कार्य पूरा हो जाना था, लेकिन आज भी बस योजना का काम शहर में 60 प्रतिशत ही पूरा हो सका है। ज्यादातर घरों तक पाइप लाइन तो पहुंचा दी गई है, लेकिन आरओ वाटर लोगों के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। कंपनी एक्सटेंशन लेखन समय सीमा बढ़ाती जा रही है। अब देखना होगा 50 लाख रुपए के जुर्माने के बाद कंपनी के कारिंदे एक्सटेंशन बढ़वाते हैं या नगर पालिका उनसे जुर्माना वसूलेगी।

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