अमृतांशी जोशी, भोपाल। राजधानी भोपाल में धर्मांतरण के खिलाफ शुक्रवार को जनजातीय सुरक्षा मंच की महारैली हुई। जिसमें प्रदेश के 40 जिलों से हजारों जनजतीय समाज के लोग शामिल हुए। उन्होंने मांग उठाई कि ऐसे लोग, जो आदिवासी कोटे से नौकरी लेकर फिर धर्म परिवर्तन कर आदिवासी परंपराओं को छोड़ दिया है, उन्हें आदिवासियों की सूची से हटाया जाए। उनको डी-लिस्टिंग की जाए।

जनजातीय सुरक्षा मंच के सह संयोजक सोहन सिंह ने इस दौरान बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि एमपी के लाखों आदिवासी कन्वर्ट हो चुके हैं। ऐसे आदिवासी धर्म-संस्कृति को भूल कर भटकावे में जा चुके हैं। जिनको जहां-जाना है जाए, लेकिन दोहरी सुविधा का लाभ ना लें। ऐसे लोगों की डी-लिस्टिंग जरूरी है।

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वहीं जनजातीय सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री कालू सिंह मुजाल्दा ने कहा कि धर्म परिवर्तन करने वालों को जनजाति के अधिकार नहीं मिलने चाहिए। इसके चलते ही भोपाल में यह बड़ा आयोजन किया है। गांव-गांव में जाकर पंच से लेकर सांसदों और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर हमने समर्थन की मांग की है।

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रैली को समर्थन देने पहुंचे वन मंत्री विजय शाह

वहीं जनजातीय सुरक्षा मंच की रैली को समर्थन देने वन मंत्री विजय शाह भी कार्यक्रम स्थल पहुँंचे। इस दौरान वन मंत्री शाह ने कहा कि जनजातीय समाज की सुरक्षा के लिए पद भी त्याग करना पड़े तो सबसे पहला नाम विजय शाह होगा। वहीं धर्मांतरण के ख़िलाफ़ आदिवासियों के सड़क पर उतरने पर विजय शाह ने कहा कि लोग अगर सड़कों पर उतरेंगे तो हम भी उनका साथ देंगे। एक दीपक से हज़ारों दीपक जलाए जा सकते हैं। ये समाज की आवाज़ का दीपक है, ये विवाद चल रहा है। ये आगे जाकर एक बहुत बड़ी चिंगारी बनेगा। हमारे जनजाति भाइयों को बरगला के ना केवल धर्म संस्कृति और समाज से अलग कर रहे हैं, बल्कि हमारी सभ्यता संस्कृति पर प्रहार कर रहे हैं। आने वाले समय में अगर हमने संविधान में परिवर्तन करवा कर के और व्यवस्था लागू नहीं की तो हमारे आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी।

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कांग्रेस ने बताया संघ का आयोजन

डिलिस्टिंग और गर्जना रैली को लेकर कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि ये पूरी तरह संघ का आयोजन है, जो चुनाव आने के पहले अपना डेरा जमा रहा है। संघ इसका जवाब दे, जब ख़ुद सरकार उनके रिमोट से चल रही है, तो एक कॉल कर के आराम से नियम बदलवा दे। रैली का आयोजन इसलिए किया गया है ताकि आदिवासी बीजेपी का सपोर्ट करते दिखे।मतलब संघ ख़ुद मान रहा है कि प्रदेश में आदिवासी धर्मांतरण बढ़ रहे हैं। लेकिन ये धर्मांतरण जब बढ़े तो 18 सालों से सरकार भी बीजेपी की ही थी। बीजेपी की सरकार में आदियावसियों का शोषण हुआ और वो परेशान रहे। विजय शाह मंत्री पद छोड़ने की बात कर रहे हैं। वो पद छोड़े हम तो माला लेकर तैयार है स्वागत करने के लिए। उनके बयानों के कारण उनकी ही सरकार ने उन्हें मंत्री पद से हटाया था। हमेशा से बीजेपी हर समाज को बाँटने का काम कर रही है।

आदिवासी धर्मांतरण कांग्रेस की देन

वहीं आदिवासी नेत्री और पूर्व राज्यसभा सांसद संपतिया उइके ने कहा कि आदिवासी धर्मांतरण कांग्रेस की देन है। कांग्रेस की सरकार में आदिवासियों ने परेशान हो कर धर्म परिवर्तित किए। अब बीजेपी की सरकार आयी है तो आदिवासियों का भरोसा वापिस लौटा है। ये कांग्रेस का फैलाया हुआ रायता बीजेपी समेट रही है। कुछ आदिवासी भटक गए थे जो अब वापिस आने लगे हैं। कई लोग भ्रमित हो जाते है लेकिन हमारी सरकार ने लगातार प्रयास किए हैं, जिन्हें आदिवासी संस्कृति छोड़नी है छोड़ दे पर दोहरे लाभ ना लें। इसलिए हम आदिवासियों ने नारा दिया है- जिसके सर पर शिव का हाथ नहीं वो हमारी जात का नहीं।

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