शब्बीर अहमद, भोपाल/ संदीप शर्मा, विदिशा। मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक निजी अस्पताल में हुए अग्निकांड से 8 लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्शन मोड़ में आ गया है। जबलपुर में जहां फायर एनओसी नहीं होने पर 24 अस्पतालों की मान्यता रद्द की गई है, वहीं भोपाल में स्वास्थ्य विभाग ने फायर ऑडिट में फेल होने पर चिल्ड्रन और एनटीआर अस्पताल में नए मरीज भर्ती करने पर रोक लगा दी है। भोपाल सीएमएचओ ने कहा कि 1 महीने के अंदर फायर एनओसी प्राप्त करने नहीं करने पर दोनों अस्पताल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

इस कार्रवाई को लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि भोपाल, जबलपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में कार्रवाई होगी। अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जहां कमी मिलेगी, उन अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने नियमों पालन नहीं करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

अस्पताल बंद होने से 2 घंटे तक तड़पती रही प्रसूता

सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का दावा कर रही हो, लेकिन विदिशा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। जिले के वर्धा स्थित सरकारी अस्पताल मेंताला लटकने से एक प्रसूता 2 घंटे तक बाहर तड़पती रही। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद डॉक्टर अस्पताल पहुंचे।

दरअसल, प्रदुम जाटव अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर विदिशा जिले के वर्धा अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन अस्पताल बंद था। वह यहां-वहां संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। थक हार कर उसने सीएम हेल्पलाइन में फोन कर मदद मांगी। इसके बाद डॉक्टर और कर्मचारी अस्पताल पहुंचे, परंतु फिर भी अस्पताल में उसकी पत्नी डिलीवरी नहीं हुई। प्रसूता को रेफर कर दिया गया।

वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एके उपाध्याय का कहना है कि 2 तारीख को मैंने वर्धा का अस्पताल निरीक्षण किया था। उस समय अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर समीक्षा तिवारी मौके पर नहीं मिली, तो मैंने उनका 1 दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए थे और कल जो घटना हुई है वह मेरे संज्ञान में है। इस मामले में टीम गठित की गई है, जांच के बाद जो तत्थ सामने आएंगे उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।

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