भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए चुनावी कसरत शुरू हो चुकी है। दांव-पैंतरे चले जा रहे हैं। हर दल अपनी जोर-आजमाइश में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इस बीच बीजेपी ने फिर अपने चुनावी अचूक अस्त्र ‘यात्रा’ की शुरुआत कर दी है। इससे पहले 2013 और 2018 के चुनाव में जन आशीर्वाद यात्रा निकाली जा चुकी है। लेकिन इस बार प्रदेश के पांच अलग-अलग स्थानों से भाजपा ने जनआशीर्वाद यात्राएं निकाल रही है।

ये यात्राएं भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा शुरू की गई हैं। जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह और नीतिन गडकरी अर्थात भाजपा के तीन पूर्व और वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्षों ने यात्राओं की शुरुआत की है।

3 सितंबर को सतना के चित्रकूट से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने पहली यात्रा की शुरूआत की थी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने चार सितंबर को मंडला से, 4 को ही श्योपुर से, 5 सितंबर को राजनाथ सिंह ने नीमच से और 6 सिंतबर को नितिन गडकरी ने खंडवा में पांचवी जन आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत की है।

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जानिए क्या हैं यात्रा के पंच तत्व ?

  • जन-जन तक पहुंचने का प्रयास: जन आशीर्वाद यात्रा प्रदेश की 210 विधानसभाओं अर्थात लगभग 8 करोड़ मतदाताओं तक पहुंच रही है।
  • जनता से सुझाव: यात्राएं जन आकांक्षा पेटी के माध्यम से जनता के सुझावों को कलेक्ट करेंगी। 18 दिन में 90 दिनों के कार्य दिवस को पूरा करेंगी यात्राएं।
  • हर क्षेत्र में जाने की रणनीति: प्रदेश के 10600 किलोमीटर से ज्यादा के दूरी के भूभाग को कवर करेगी यात्रा.
  • समग्र संपर्क व संवाद की योजना: यात्रा के दौरान 1000 से ज्यादा स्वागत समारोह, 600 से ज्यादा रथ सभाएं, 250 के आसपास मंच सभाएं और लगभग 50 बड़ी जनसभाएं होंगी।
  • कलेक्टिव लीडरशिप की छाप: केंद्र और राज्य के नेता यात्रा के दौरान सभी जगह पर अलग-अलग दिन शामिल रहेंगे। जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए सामूहिक नेतृत्व को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। रथ पर 12 नेताओं की तस्वीरें हैं।

बीजेपी और यात्राओं का संबंध पुराना रहा है। संगठन को चुनावों के लिए तैयार करने और जनता के बीच पहुंचने के लिए बीजेपी यात्राओं का सहारा लेती आ रही है। ज्यादातर बार ऐसा देखा गया है कि भाजपा को चुनावों में यात्राओं का लाभ मिलता है।

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यात्राओं मिले ये फायदे

1990 की राम रथयात्रा और 1993 की एकता यात्रा ने बीजेपी को ताकत दी और 1996 में बीजेपी पहली बार अपना प्रधानमंत्री बना पाई। 1997 में भाजपा ने स्वर्ण जयंती यात्रा निकाली और 1998 के चुनावों में फिर भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरी और सरकार बनी। भाजपा मध्यप्रदेश में भी यात्राएं पहले निकालती रही और उसे सफलता भी मिलती रही।

हर क्षेत्र और समाज के नेताओं को साधने की कोशिश

इस बार की यात्रा में विशेषता यह है कि यह एक नहीं बल्कि 5 स्थानों से निकली है। इसमें कोई एक नेता नहीं बल्कि प्रदेश और केंद्र के अनेक नेता शामिल होकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। यात्रा के पोस्टर पर भाजपा ने हर क्षेत्र और समाज के नेताओं को जगह दी है।

भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ

यात्रा का समापन 21 सितंबर को होगा। इसके बाद दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर 25 सितंबर कोभोपाल में इन यात्राओं में शामिल सभी लोगों को बुलाया जाएगा। जम्बूरी मैदान में कार्यकर्ता महाकुंभ का आयोजन होगा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे।

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