राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। देश में जातिगत जनगणना का मुद्दा गरमाता जा रहा है। विपक्ष लगातार जातिगत गनगणना की मांग कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए, ताकि अन्य पिछड़गे वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जा सके। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की मांग उठाई है। पूर्व मंत्री अरूण यादव और कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने यह मांग उठाई है।
वहीं मध्य प्रदेश ओबीसी आयोग के अध्यक्ष गौरी शंकर बिसेन भी जातिगत जनगणना के पक्ष में उतर आए हैं। गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि जातिगत जनगणना का फायदा मिलता है। इससे कहीं कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इस संबंध में निर्णय लेने का काम भारत सरकार का है। लोकसभा का है, राज्यसभा का है। भारत निर्वाचन आयोग का है।
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वहीं कांग्रेस मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने बीजेपी पर चुटकी लेते हुए कहा कि राहुल गांधी की बात को बिसेन समझे हैं।
राहुल गांधी पते की बात कह रहे हैं। बीजेपी में इसको सिर्फ गौरीशंकर बिसेन समझे हैं जातिगत जनगणना समाज हित में है।
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