मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। जब एक बच्चा किसी स्कूल में दाखिला लेता है, तब शिक्षक के रूप में उसे दूसरे माता-पिता मिलते हैं।ऐसे में अगर एक बेहतर गाइडेंस बच्चों को मिले तो स्कूल में पढ़ रहे बच्चे अपने भविष्य को बेहतर कर सकते हैं। भले ही स्कूल सरकारी हो या निजी। एक बेहतर शिक्षक ही बच्चों का भविष्य बेहतर कर सकता है। जब माता-पिता बच्चों को स्कूल में छोड़कर जाते हैं तो वह शिक्षकों से यह उम्मीद करते हैं कि उस स्कूल में पढ़ा रहा हर एक शिक्षक उनके बच्चों को बेहतर इंसान बनने में एक अहम भूमिका निभाएगा।

अगर हम निजी और सरकारी स्कूलों की तुलना करें तो सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को एक बेहतर प्रशिक्षण की काफी ज्यादा जरूरत होती है। वहीं निजी स्कूल में पढ़ रहा बच्चा अपने आप को एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चे से बेहतर समझता है। निजी स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए काफी पैसे खर्च करते हैं। निजी स्कूल उनके स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को कई सुविधाएं भी देता है। जैसे बड़े-बड़े क्लासरूम, डिजिटल क्लासेस, कंप्यूटर क्लासेस, बड़े-बड़े प्लेग्राउंड आदि।

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अगर हम सरकारी स्कूल की बात करें तो अक्सर देखा जाता है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को उतनी सुविधा नहीं मिल पाती, जितनी की एक निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को मिलती है। ऐसे में सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह स्कूल में पढ़ रहे हर बच्चों का भविष्य उज्जवल करें और बेहतर भविष्य के लिए उनका मार्गदर्शन करें। ऐसे में बच्चों को बेहतर भविष्य देने से पहले एक शिक्षक को खुद ही प्रशिक्षित होना काफी जरूरी हो जाता है। अगर एक शिक्षक ही अपने जीवन में डिसिप्लिन नहीं है तो वह स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के जीवन में भी कुछ खास बदलाव नहीं कर पाएगा।

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