सदफ हामिद, भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण पैर पसारने लगा है. रोज जो आंकड़े दर्ज हो रहे हैं, वो फिर डराने लगे हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद इस बात को कह चुके हैं कि तीसरी लहर आ गई है, लेकिन इस बीच प्रदेश में कोरोना का सामना करने वाले कोरोना योद्धाओं यानि कि डॉक्टरों की भारी कमी है. मरीजों की देखभाल और जीवन देने वाले डॉक्टर पर्याप्त नहीं है. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कोरोना से कैसे निपटा जाएगा.

डॉक्टरों की 3 हजार पोस्ट खाली

प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज, 11422 प्राथमिक और उपस्वास्थ्य केंद्र हैं. जहां अभी 3 हजार डॉक्टर्स और 16 हजार नर्सिंग स्टाफ के पद खाली हैं. एक आंंकड़े के अनुसार प्रदेश में 17 हजार लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर है. WHO के अनुसार एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए. वहीं डॉक्टरों की कमी और कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों को लेकर सरकार पर कांग्रेस हमलावर है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि सरकार ना पहली लहर में कुछ कर पाई. ना दूसरी लहर में और न ही तीसरी लहर के लिए कोई तैयारी है. ना डाक्टर हैं, ना स्टाफ. ना ही जीनोम सिक्वेंसिंग की मशीन है. सरकार कोरोना से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है.

सरकार का दावा- तैयारी पूरी

इधर, सरकार का कहना है कि प्रदेश कोरोना से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है. मेडिकल सुविधाएं चुस्त-दुरुस्त हैं हर चुनौती का सामना करने के लिए सरकार तैयार है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि रिक्रूटमेंट और ट्रेनिंग पूरी कर ली गई है. किसी चीज की कमी नहीं हैं.

वहीं पूर्व चिकित्सा अधिकारी स्वास्थ्य एस.के सक्सेना ने बताया कि डॉक्टर की कमी शुरू से बनी हुई है, लेकिन इस बारे में कोई समाधान नहीं किया गया. मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल में 60 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं.  इससे तो साफ हो गया है कि अगर तीसरी लहर प्रदेश में दस्तक देती है या दे दी है तो डॉक्टर्स की कमी चिंता जनक है. खाली पद समय रहते नहीं भरा गया तो हालत बिगड़ सकती है.

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