अजय शर्मा, भोपाल। सरकार जनजाति समाज के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई प्रयास कर रही है। वहीं इसी के चलते अब भोपाल के फूड लवर्स (Food lovers) के लिए जनजातीय संग्रहालय (Tribal Museum) में नई सुविधा शुरू होने जा रही है। इन दिनों जनजातीय संग्रहालय मध्यप्रदेश की 7 जनजातियों के आवास तैयार किया जा रहा है, जहां इन जनजातियों का पारंपरिक भोजन (traditional food) सर्व (served) किया जाएगा।
संस्कृति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन आवासों से इनके रहन-सहन के अलावा, इनके घरों की संरचना को भी समझ सकेंगे। साथ ही, इनके खान पान को जानने के लिए भी अच्छा मौका मिलेगा। इसमें मुख्य रूप से भील, गोंड, सहरिया के घर बनकर तैयार हैं। इसके अलावा भारिया, कोरकू कोल और बैगा जनजाति के घरों का काम इन दिनों तेजी से जनजातीय संग्रहालय में चल रहा है। यह घर संग्रहालय के पीछे स्थित खाली जगह में बनाए जा रहे हैं। ट्राइबल म्यूजियम के क्यूरेटर अशोक मिश्रा ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत प्रदेश की सात जनजातियों के आवास निर्मित किए जा रहे हैं। जहां उनके ट्रेडिशनल फूड को सर्व किया जाएगा, वहीं, स्वाद बरकरार रखने के लिए खान पान की मूलभूत चीजों वह आदिवासी खुद अपने इलाकों से ही लाएंगे।
इन व्यंजनों का ले सकते हैं जायका
गोंड का कोदो, कुटकी तुअर दाल।
भील का पानीया, चटनी
बैगा का कोदो, कुटकी
कोरकू महुआ का लड्डू
इन जनजाति के बन रहे आवास
गोंड, भील, बैगा, कोल, कोरकू, सहरिया, भारिया।
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