अजय शर्मा, भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में हैं। दरअसल, पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने एमपीपीएससी परीक्षा में भेदभाव और कम नंबर देने का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। मध्यप्रदेश में चिकित्सकों की भर्ती मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा की गई जिसमें चिकित्सकों को साक्षात्कार में दिए गए नंबरों में भेदभाव किया गया है।
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दरअसल, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने स्त्री रोग विशेषज्ञों के लिए 27 जुलाई 2022 को विज्ञापन जारी किया था और उसके बाद साक्षात्कार हुए। इसका परिणाम 6 दिसंबर 2022 को घोषित हुआ था। साक्षात्कार के 100 अंकों के आधार पर चयन सूची बनी।
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जीतू पटवारी का आरोप है कि सामान्य वर्ग को 100 में से अधिकतम 89 और न्यूनतम 75 अंक दिए गए, जबकि पिछड़ा वर्ग को अधिकतम 55 और न्यूनतम 38 अंक दिए गए। अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थियों को अधिकतम पर 49 और न्यूनतम 34 अंक दिए गए और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को अधिकतम 63 और न्यूनतम 32 अंक दिए गए। ईडब्ल्यूएस के एकमात्र अभ्यर्थी को भी 44 अंक मिले।
राज्यपाल को पत्र लिखकर पूर्व मंत्री ने कहा कि लोक सेवा आयोग ने योग्यता को दरकिनार करते हुए पूर्वाग्रह के आधार पर अंक दिए जिससे न केवल भेदभाव को बढ़ावा मिलता है बल्कि वंचित वर्ग परेशान होता है। पटवारी ने इस परीक्षा की जांच स्वतंत्र समिति से कराने की मांग की है।
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