राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में अब राजनीतिक दल बनाकर रियासती जमीन हथियाने का अब खेल नहीं चलेगा। दरअसल, सरकार ने राजनीतिक दलों के भूमि आवंटन के नियम में बदलाव किया है। पार्टी का वजूद खत्म होते ही रियायती जमीन वापस हो जाएगी। यानि राजनीति करोगे तो ही रियासती जमीन बची रहेगी। जमीन पर बना भूखंड भी सरकार छीन लेगी। साथ ही लीज की राशि भी जब्त हो जाएगी।
दरअसल, मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों को कार्यालय के लिए रियायती दर पर जमीन मिलती है। अब जमीन आवंटन के एक साल के भीतर भवन निर्माण शुरू करना होगा और तीन साल के भीतर काम भी पूर्ण करना होगा। वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
कांग्रेस के समस्त प्रकोष्ठ और विभाग प्रभारी जेपी धनोपिया ने कहा कि यह सरकार का तुगलकी फरमान है। जमीन आवंटन के बाद भवन निर्माण की शुरुआत के लिए 1 साल की समय सीमा तय नहीं की जा सकती। 3 साल के लिए निर्माण की अवधि भी तय नहीं की जा सकती। बीजेपी सरकार इस तरह के मनमाफिक आदेश जारी कर रही है।
वहीं बीजेपी प्रदेश कार्यालय प्रभारी भगवानदास सबनानी ने कहा कि समय-समय पर जरूरत के हिसाब से नियमों में परिवर्तन किए जाते हैं। आम लोगों के भवन निर्माण के लिए नियम बनाए गए हैं तो राजनीतिक दलों के लिए भी बनाए गए हैं। सभी दलों को आदेश का पालन करना चाहिए।
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