राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। अपनी पीढ़ी स्वस्थ रखने के लिए विवाह पूर्व जन्म कुंडली मिलान से ज्यादा जरूरी सिकल सेल जेनेटिक काऊंसलिंग कार्ड का मिलान होना है। क्योंकि यदि सिकल सेल रोगी और वाहक आपस में विवाह करते हैं, तो निश्चित ही उनकी सन्तान सिकल सेल रोग से ग्रसित हो सकती है। यदि पति-पत्नी दोनों इस रोग के वाहक हैं, तो भी उनकी सन्तान सिकल सेल से प्रभावित हो सकती है।

सोमवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने शासकीय कमला नेहरू कन्या महाविद्यालय के छात्रावास में आयोजित सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग शिविर में शामिल हुए। शिविर को संबोधित करते उन्होंने यह बात कही। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मातृ-शक्ति का विशेष महत्व है। सिकल सेल उन्मूलन के लिए बेटियों का योगदान जरूरी है। सिकल सेल जागरूकता के लिए बेटियां आगे आएं और अपने करीबी, रिश्तेदार व आस-पड़ोस के लोगों को इस बीमारी के बारे में बताएं। जरूरत पड़ने पर खूब की जांच कराने की जिम्मेदारी भी निभाएं।

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राज्यपाल ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से अपील की, कि सिकल सेल रोग के लक्षण, रोकथाम और उन्मूलन के प्रयासों में हर व्यक्ति सक्रिय योगदान निभाए। मानवता की सेवा के इस पुनीत कार्य के प्रति हमेशा संवेदनशील रहें। उन्होंने 2047 तक भारत को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त बनाने के संकल्प के लिए सामूहिक सहभागिता का आहवान किया। जनजातीय कार्य विभाग और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुए कार्यक्रम में बताया गया कि भारत सरकार के सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत अब तक प्रदेश में 72 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। मिशन के लक्ष्य के तहत एक करोड़ लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जानी है।

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