राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। सीहोर में सोमवार को रुद्राक्ष महोत्सव स्थगित करने के मामले पर जमकर सियासत हो रही है, जिसको लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा का आखिरकार आज सब्र का बांध टूट ही गया. पं. मिश्रा ने व्यास गादी से नेताओं को जमकर खरी-खटी सुनाई. उन्होंने कहा कि तीन दिन से देख रहा हूं शिवमहापुराण को राजनीति का अखाड़ा बनाकर रखा है. इधर टांग खींचो, इसको खींचो, उसको खींचो. जो होना था हो गया. अब कम से कम प्रशासन मुस्तैद तो हो गया.

आगे पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कलेक्टर, एसपी से लेकर कमिश्नर तक दूसरे दिन से ही व्यवस्था संभाल लिए हैं. ये व्यासपीठ कभी राजनीति की नहीं रही है और न होगी. मैं हिंदुओं के लिए कथा करता हूं. हिंदुओं को जगाने के लिए कथा करता हूं. अपने आप को गौराविंत महसूस करता हूं कि मैं हिन्दू हूं सनातनी हूं और भारत की भूमि पर पैदा हुआ हूं.

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ये है पूरा मामला
दरअसल, 28 फरवरी सोमवार सुबह 7 बजे से 7 दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव की शुरुआत हुई.  जिसके बाद से भक्तो की भीड़ जुटनी शुरू हुई.  दोपहर 2 बजे तक हालत ये हो गई कि भोपाल-इंदौर स्टेट हाईवे के दोनों तरफ 20 किलोमीटर लंबा जाम हो गया.  पंडाल पर दो लाख से अधिक भक्त पहुंच गए. स्थिति को देखकर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यास गादी पर बैठे-बैठे कहा- ऊपर से बार-बार दबाव आ रहा है, इसलिए कथा स्थगित कर रहा हूं. आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि अपने घर जाकर ऑनलाइन ही कथा सुनें.

इसके बाद सिसायत गरमा गई. विपक्ष के साथ-साथ कई बीजेपी नेता भी खुलकर विरोध कर रहे थे. मंगलवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने व्यवस्थाओं को लेकर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा से बात की. गृहमंत्री के बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर सरकार को घेरा. उन्होंने लिखा- महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या, शिवराज जी की सरकार, शिवराज जी का क्षेत्र और शिव ज्ञान की गंगा बहाने वाला ‘शिव महापुराण व रुद्राक्ष महोत्सव’ का 7 दिवसीय महाआयोजन दबाव डालकर पहले दिन ही स्थगित करा दिया गया, क्योंकि प्रशासन लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्था संभालने में असफल साबित…? एक कथावाचक को आंखों में आंसू भरकर व्यासपीठ से इस सच्चाई को श्रद्धालुओं को बताना पड़े तो इससे शर्मनाक प्रदेश के लिए कुछ और हो नहीं सकता है.

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वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने भी सीएम शिवराज को पत्र लिखकर कई सवाल उठाए. उन्होंने पूछा  क्या सीहोर का प्रशासन इतना नकारा था कि इस आयोजन की जानकारी होने के बाद भी व्यवस्थाएं नहीं की जा सकीं. क्या प्रशासन भांप नहीं सका कि 11 लाख रुद्राक्ष का अनुष्ठान है तो श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी. उन्होंने प्रशासन पर कार्रवाई की मांग भी की थी.

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