सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में रातापानी अभ्यारण को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया 16 सालों से अटकी हुई है। जबकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण इसे मंजूरी दे चुका है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं। इसके बावजूद रातापानी अभ्यारण, टाइगर नहीं बल्कि क्रशर का जंगल बना हुआ है। रसूखदार माफियाओं के आगे प्रशासन भी नतमस्तक दिखाई दे रहा हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने रातापानी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके लिए राज्य स्तरीय वन्य प्राणी बोर्ड से भी अनुमोदन मिल गया है। लेकिन रातापानी अभ्यारण क्रशर का जंगल बना हुआ है। कोर और बफर एरिया में मनमानी हो रही है।
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नेशनल हाइवे के दोनों तरफ लगभग 60 से अधिक क्रशर संचालित हो रहे है। जमकर अवैध रूप से सागौन की कटाई हो रही है। कंडे की आग से सागौन के पेड़ के तनों को जलाया जा रहा है। इको सेंसेटिव जोन के अंदर भी जमकर अवैध खनन हो रहा है। वहीं रसूखदार क्रेशर माफिया के आगे प्रशासन नतमस्तक नजर आ रहा हैं।
MP में कितने और किस जिले में हैं टाइगर रिजर्व
पेंच टाइगर रिजर्व छिंदवाड़ा, सिवनी जिलों में है। कान्हा टाइगर रिजर्व, मंडला जिले में है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया जिले में है। पन्ना टाइगर रिजर्व पन्ना जिले में है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम जिले में है। संजय दुबरी टाइगर रिजर्व सीधी जिले में है। रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिलों में है। रातापानी टाइगर रिजर्व भोपाल में प्रस्तावित है।
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