अमृतांशी जोशी, भोपाल। भारत ने हाल ही में हुए पहले अंडर-19 विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब जीता है। भारतीय टीम ने फाइनल मैच में इंग्लैंड को 7 विकेट से हराया। अंडर-19 की टीम भारत लौट आई है। वहीं भोपाल में Lalluram.com ने U-19 वर्ल्ड चैंपियन सौम्या तिवारी से खास बातचीत की, पढ़िए पूरा इंटरव्यू..
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सवाल- जब ट्रॉफ़ी हाथ में आई कितना संघर्ष उस वक़्त याद आया, कितनी मेहनत लगी और कितनी खुशी हुई?
जवाब- काफ़ी अच्छा माहौल था, जब वो ट्रॉफी आई … मेरा सपना था वो ट्रॉफ़ी मैं इंडिया को दिलाऊं.. मैंने लास्ट में विनिंग शॉट भी लगाया था, जब लास्ट में मैं वो रन ले रही थी तब मेरे दिमाग में 1 ही चीज आई की अब फाइनली इंडिया को वो ट्रॉफी मिल जाएगी। हम जीत गए हैं, उसके लिए हमने 2 साल से मेहनत की है और हमारे कैंप भी चल रहे थे। मैच भी हुए.. मेरे लिए यह सब सबसे बड़ा अचीवमेंट था।
सवाल- आपके माता-पिता बता चुके हैं कि आपने कैसे कपड़े धोने वाली ‘मोगरी’ से खेलने की शुरुआत की है, लेकिन मोगरी से लेकर अब बल्ले ने अफ़्रीका में दम दिखाया?
जवाब- पहले जब हमारी बाई आती थी तो मोगरी से कपड़ों की सफ़ाई होती थी। हमारे घर पर एक ही बैट जैसी चीज थी, जिसको देखकर मुझे लगता था कि इसी से मैं खेल सकती हूं, मैंने धीरे-धीरे उसके साथ खेलना स्टार्ट किया, फिर मैंने अपने पापा को बोला कि मुझे बैट लाकर दीजिए और फिर उसके बाद चीज़ें चलती चली गई।
सवाल- माता-पिता का कितना सपोर्ट रहा?
जवाब- मेरी फ़ैमिली ने हमेशा मुझे सपोर्ट किया। अभी भी वो इतना सपोर्ट कर रहे हैं मुझे कि मैं कभी उसकी उम्मीद भी नहीं कर सकती।
सवाल- नई जगह, नए ग्राउंड पर प्रेशर बहुत ज़्यादा होता है जब आप ग्राउंड पर होते हैं टीम पर कैसे हैंडल किया, क्योंकि लड़कियों ने इस बार कर दिखाया है?
जवाब- ये सबसे ज़्यादा ज़रूरी है टीम वर्क… हर इंडिविजुअल इंपॉर्टेंट रोल होता है। सब अपना डिफरेंट रोल प्ले कर रहे थे, तभी हम ट्रॉफी ला पाए है। कभी किसी के लिए डाउन फ़ॉल चल रहा हो तो एक दूसरे को बात करने के लिए सबसे ज़्यादा सपोर्ट था.. मालूम था टीम साथ में खड़ी है अगर वो एक प्लेयर परेशान या कुछ होता था तो ऐसा नहीं था लगता वो अकेला है वो हमारे साथ… जो हमारे कोच और सपोर्ट स्टाफ़ था उसके बिना ये पॉसिबल नहीं था।
सवाल- कितना संघर्ष लगा है यहाँ तक आने में, क्योंकि इंडियन क्रिकेट टीम में सेलेक्शन होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होती है?
जवाब- काफ़ी स्ट्रगल.. स्टार्टिंग में बॉयस के साथ खेलने में प्रॉब्लम होती थी। क्योंकि मैं हमेशा से लड़कों के साथ खेली हूं तो जब उनको बाद में पता चला कि मैं लड़की हूँ तो मतलब मेरा मज़ाक उड़ाया… हालंकि धीरे-धीरे उन्होंने मुझे सपोर्ट करना स्टार्ट किया। मुझे अपने साथ खिलाना शुरू किया। सर ने मुझे बहुत प्रमोट किया और मुझे ऐसा लगता है कि उनकी वजह से मेरा ग्राफ इम्प्रूव हुआ है। आज भी अकादमी और मेरे साथ खेलने वाले लड़कों के मैसेज आते हैं। वो मेरी तारीफ़ करते हैं। तब मुझे सच में दिल से ख़ुशी मिलती है।
सवाल- विराट कोहली की आप सबसे बड़ी फ़ैन हैं पूरे कमरे में पोस्टर लगे हुए हैं, उन्ही की नंबर की जर्सी पहन कर खेलती है?
जवाब- मुझे विराट कोहली बहुत पसंद हैं.. मतलब एटीट्यूड और गेम को लेके कैसे हैंडल करते हैं, जैसे अभी उनके रन नहीं बन रहे थे। काफ़ी टाइम से उन्होंने सेंचुरी नहीं मारी थी, लेकिन उन्होंने अपने आप को मेंटली कितना स्ट्रांग रखा।
सवाल- जब आख़िरी के रन चाहिए थे,कितना प्रेशर था?
जवाब- जब हमें लास्ट के दो रन चाहिए थे और सब लोग वहीं थे। हमारे लोगों के हाथ में भारत का झंडा था और साउथ अफ़्रीका के भी बहुत सारे लोग थे…. हमारे सप्पोर्टर हूटिंग रहे थे इंडिया.. इंडिया… वो एक अलग ही फ़ीलिंग थी मतलब मैं सोच भी नहीं सकती और जब वो शॉट मैंने लगाया जो वो फिल्डर से मिस हो गया और वो रन निकला था, उसके बाद तो ऐसा लगा कि मैंने जीवन में सब हासिल कर लिया है।
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