शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्य प्रदेश में मिलावट के खिलाफ अभियान सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि ये खाद्य विभाग की तरफ से जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट कह रही है. क्योंकि खाद्य औषधि के अमले द्वारा लिए जा रहे सैंपल की रिपोर्ट आने में दो साल का वक्त लग रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला, जब राजधानी के एमपी नगर जोन 2 की हकीम होटल से दिसंबर 2019 में हल्दी और मिर्च पाउडर के सैंपल खाद्य सुरक्षा टीम ने लिए थे. जिसकी रिपोर्ट अक्टूबर 2021 में आई. जिसमें पाया गया कि हल्दी और मिर्चा पाउडर में केमिकल मिला हुआ है. जिसके बाद खाद्य सुरक्षा टीम ने होटल संचालक और मैनेजर के खिलाफ एमपी नगर थाने में एफआईआर यानि इस कार्रवाई में पूरे दो साल लग गए.

ऐसे ही प्रदेश भर के एक साल के आकड़ों पर नजर डाले तो मिलावट से मुक्ति अभियान के तहत 1 साल में 21580 लीगल और अन्य सर्विलेंस के 5040 सैंपल लिए गए. इसमें 194 सैंपल जांच में अनसेफ पाए गए और 11 करोड़ का जुर्माना लगाया गया. इस दौरान 396 लोगों पर एफआईआर हुई, तो वहीं 36 लोगों पर एनएसए की कार्रवाई की गई. ये कार्रवाई 9 नवंबर 2020 से 30 दिसंबर 2021 के बीच की गई. हालांकि पिछले कुछ समय से ये कार्रवाई महज खानापूर्ति रह गई है.

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मुख्यमंत्री शिवराज के निर्देश पर प्रदेश में नवंबर 2020 से मिलावट से मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है,इस दौरान खाद्य औषधि के अमले ने खाद्य पदार्थों के 21580 लीगल सैंपल लिए, जबकि मैजिक बॉक्स से सवा लाख नमूने लिए गए. इसकी जांच मौके पर ही की गई. अन्य सर्विलेंस नमूने 5000 से अधिक लिए गए. इनमें मानक स्तर के 19346 सैंपल मिले, जबकि 1970 अमानक और 2064 मिथ्याछाप पाए गए. जांच में 194 सैंपल अनसेफ निकले यानी ये वो सैंपल है, जो मनुष्य के खाने योग्य नहीं है.

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ऐसे 36 व्यापारियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एनएसए के तहत कार्रवाई की गई. जबकि 396 मिलावटखोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. मिलावट से मुक्ति अभियान का असर शुरू में तो देखने को मिला, लेकिन अब अभियान खानापूर्ति तक ही सिमट कर रह गया है. हालत यह है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी अब टारगेट पूरा करने के लिए नमूने ले रहे हैं. इनमें सर्विलेंस नमूनों की संख्या सबसे अधिक होती है. यही कारण है कि मिलावट का काला कारोबार आज भी धड़ल्ले से चल रहा है.

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