राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि डिप्टी सीएम का एक बयान वायरल हो गया। उपमुख्यमंत्री के बयान से कांग्रेस को सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया। कांग्रेस पार्टी ने डिप्टी सीएम के बयान को लेकर भाजपा पर जमकर हमला बोला। इस बीच बीजेपी के मीडिया प्रभारी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि ‘देश में ‘सेक्युलरिज्म’ की आड़ में ‘सेलेक्टिज्म‘ है!’
बीजेपी मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पोस्ट कर लिखा- “देश में ‘सेक्युलरिज्म’ की आड़ में ‘सेलेक्टिज्म‘ है!” भाजपा के मंत्री के बयान पर न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई की, लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव द्वारा देश की बेटी विंग कमांडर व्योमिका सिंह जी पर की गई जातिसूचक टिप्पणी कि वो “हरियाणा की …. ” हैं, इस पर न तो स्वतः संज्ञान लिया गया और न ही किसी कांग्रेसी या इंडी गठबंधन के नेता ने आपत्ति जताई! ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब बिल्ली को देखकर कबूतर ने आखें बंद कर ली हों… ऐसे कई गंभीर, संवेदनशील और हिंसात्मक बयान दिए गए जहां कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेताओं ने चुप्पी साधी जैसे..
- राहुल गांधी ने जब मनुस्मृति पर अपनी आलोचनात्मक टिप्पणी की, तो क्या उस समय “धार्मिक संतुलन” बिगड़ा नहीं था? क्या उन्होंने हिंदू धर्म को चुनौती नहीं दी थी?
- उधयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को “कैंसर” और “मलेरिया” जैसे रोगों से जोड़ा। यह बयान क्या उस स्तर का धर्मिक अपमान नहीं था, जिस पर कोई एक्शन लिया जाना चाहिए था?
- अकबरुद्दीन ओवैसी का “15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो” बयान सीधे तौर पर सांप्रदायिक हिंसा को उकसाने वाला था। लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या यह बयान सार्वजनिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने वाला नहीं था?
- ए राजा ने सनातन धर्म को “एचआईवी और कुष्ठ रोग” से जोड़ा। क्या धर्मनिरपेक्ष भारत में ऐसा बयान देने का अधिकार किसी को मिलना चाहिए? क्या इसका कोई असर धार्मिक संतुलन पर नहीं पड़ा?
- गौहर चिश्ती ने “सर तन से जुदा” के नारे लगाए, तो क्या ये नारे लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खतरा नहीं थे? क्या न्यायालय या राजनीतिक दल चुप रहकर इस आतंकवादी मानसिकता को बढ़ावा दे रहे थे?
- वर्ग विशेष को कुछ कहो तो ‘देशद्रोह’, जबकि हिंदुओं को गाली देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता? क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?
- नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ हिंसा की धमकियां दी गईं, क्या यह सिर्फ उनके व्यक्तिगत विचार थे या एक सामाजिक और धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश थी?
- कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की चुप्पी, सनातन धर्म और हिंदू आस्थाओं पर होने वाले हमलों के प्रति उनकी निष्क्रियता को उजागर करती है।
- “अशोभनीय बयान, फिर भी खामोशी ही कांग्रेस और उनके सहयोगियों को असली चाल चरित्र और चेहरा है!
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डिप्टी सीएम ने कही थी ये बात
दरअसल, मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने जबलपुर में सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान दे दिया, जिससे बवाल मच गया। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘पाकिस्तान के आतंकियों को तबाह करने के लिए पूरा देश ही नहीं बल्कि पूरे देश की सेना भी प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक हैं।’ डिप्टी सीएम जगदीश ने कहा कि ‘इसके लिए हमें प्रधानमंत्री जितनी तारीफ की जाए कम है।’ इस दौरान उन्होंने आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए उपस्थित लोगों से तालियां भी बजवाई।
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बयान के बाद गरमाई सियासत, जगदीश देवड़ा ने दी सफाई
वहीं इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई। कांग्रेस पार्टी ने चौतरफा हमला किया। हालांकि बवाल मचने के बाद डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि ‘मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। मैने ऐसा नहीं कहा है। मैंने कहा था कि देश की सेवा कर रहे वीर जवानों के चरणों में देश नतमस्तक है। मैंने कोई ऐसा बयान हीं नहीं दिया है जिसके लिए माफी मांगी जाए और न ही मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। जगदीश ने आगे कहा कि जिस तरीके से बयान को गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है वह मन को बहुत आहत करने वाली है, ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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