मुकेश मेहता, बुधनी (सीहोर)। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा संसदीय क्षेत्र से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीतने के बाद अब बुधनी विधानसभा के रण की ओर कूच करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। शिवराज सिंह बुधनी से विधायक हैं और लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वह इस सीट से इस्तीफा देंगे। नियमों के मुताबिक, उन्हें किसी एक पद पर ही रहने का अधिकार है। ऐसे में लोकसभा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद वह विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। यह तो सर्वविदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी टीम में शामिल करना चाहते हैं। इसका जिक्र उन्होंने स्वयं हरदा में चुनाव प्रचार के दौरान किया था।

शिवराज सिंह के इस्तीफा देने से बुधनी में एक बार फिर उपचुनाव की स्थिति निर्मित होगी। उपचुनाव की सुगबुगाहट के साथ के साथ ही टिकट के दावेदार अब सामने आने लगे हैं। बुधनी विधानसभा की सीट शिवराज सिंह चौहान के लिए राजनीतिक सीट नहीं है, बल्कि यह उनकी जन्म और कर्म भूमि कहलाती है। इसलिए इस सीट पर बिना उनकी मंशा के प्रत्याशी का टिकट तय नहीं हो सकेगा। विधानसभा चुनाव उन्होंने 106000 मतों से जीत दर्ज की थी और लोकसभा चुनाव में उन्हें इस विधानसभा से एक लाख 45 हजार मतों की लंबी लीड मिली।

बुधनी में होगा तीसरा उप चुनाव

बुधनी विधानसभा क्षेत्र में यह तीसरा उप चुनाव होगा। इसके पहले साल 1991 में शिवराज सिंह चौहान को सांसद का चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया था। दूसरा उपचुनाव साल 2005 में हुआ था। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभालने के दौरान राजेंद्र सिंह राजपूत ने विधानसभा सीट खाली की थी। अब तीसरा उपचुनाव स्वयं उनके द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद होने के हालात निर्मित हुए हैं।

आधा दर्जन से अधिक दावेदार, युवाओं की भी लग सकती है लॉटरी

विधानसभा उपचुनाव के लिए बुधनी से स्थानीय स्तर पर आधा दर्जन से भी अधिक दावेदारों के नाम सामने आए हैं। जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व निगम अध्यक्ष गुरु प्रसाद शर्मा, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत, निवृत्तमान सांसद रमाकांत भार्गव, पूर्व प्रदेश मंत्री रघुनाथ सिंह भाटी, भाजपा जिला अध्यक्ष रवि मालवीय, शिवराज सिंह चौहान के सुपुत्र कार्तिकेय सिंह, आदिवासी वित्त विकास निगम के अध्यक्ष निर्मला बारेला शामिल है। लेकिन भाजपा युवाओं पर विश्वास जताती है तो क्षेत्र के युवा ऐसे हैं जिनकी लॉटरी भी विधानसभा चुनाव के दौरान लग सकती है। जिनमें प्रमुख रूप से विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के दामाद नीरज सिंह भाटी, भेरूंदा नगर परिषद के अध्यक्ष मारुति शिशिर, मंडल अध्यक्ष धीरज पटेल के नाम प्रमुख है।

गुरु प्रसाद शर्मा

मजबूत पक्ष- राजनीति का लंबा अनुभव, शिवराज गुरु प्रसाद की जोड़ी कृष्ण- सुदामा के रूप में विख्यात, सर्वमान्य नेता, तीन बार के वन विकास निगम अध्यक्ष, जनता के बीच गहरी पैठ, अपने लिए कभी पार्टी से कुछ नहीं मांगा।

कमजोरी- स्पष्टवादी

राजेंद्र सिंह राजपूत

मजबूत पक्ष- बुधनी से एक बार के निर्वाचित विधायक, शिवराज के लिए सीट खाली करने वाले नेता, जनता से सीधा संपर्क, तीन बार के पूर्व वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन अध्यक्ष, सभी समाजों में गहरी पैठ

कमजोरी- छोटे भाई विजयपाल सिंह का सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक होना।

रमाकांत भार्गव

मजबूत पक्ष- वर्तमान के निवृत्तमान सांसद, 5 वर्षों तक बुधनी विधानसभा में सिरमौर रहे, शिवराज सिंह चौहान सबसे खास, एमपी मार्कफेड के अध्यक्ष रहे, शिवराज के चुनाव के संचालन कर्ता रहे।

कमजोरी- जनता से दूरी, कार्यकर्ताओं में नाराजगी, सांसद के कार्यकाल में अपेक्षित उपलब्धि नहीं, क्षेत्र विशेष तक सीमित, पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी

रघुनाथ सिंह भाटी

मजबूत पक्ष- शिवराज सिंह के विश्वासपात्र, संगठन क्षमता के लिए पहचाने जाने वाले, सीहोर जिले के सफलतम पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष, प्रदेश संगठन में प्रदेश मंत्री की सफल भूमिका, संपूर्ण बुदनी विधानसभा क्षेत्र मैं जाना पहचाना चेहरा।

कमजोरी- स्थानीय संगठन से दूरी, पार्टी के द्वारा जवाबदारी दिए जाने से अन्य विधानसभा क्षेत्र में अधिक संपर्क।

रवि मालवीय

मजबूत पक्ष- अभी तक के सफलता जिला अध्यक्ष, कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क और संवाद, जमीन से राजनीति कर बड़े स्तर पर पहुंचे, नगरीय निकाय लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी को जिले में बड़ी सफलता दिलाई।

कमजोरी- एक पद का नियम पार्टी में लागू होने से संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी, बुधनी में कम, जिले की अन्य विधानसभाओं पर अधिक ध्यान।

कार्तिकेय सिंह चौहान

मजबूत पक्ष- पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सुपुत्र, पिछले दो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगातार सक्रिय, खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं के बीच लोकप्रिय।

कमजोरी- चुनाव के बाद जनता के बीच से गायब होना, राजनीतिक अनुभव की कमी, निष्ठावान कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क नहीं।

निर्मला बारेला

मजबूत पक्ष- विधानसभा क्षेत्र से एकमात्र महिला नेत्री, मजबूत आदिवासी नेत्री, शिवराज सिंह चौहान के सबसे करीबी नेताओं में शुमार, सामाजिक स्तर पर बड़ा बोट बैंक, वर्तमान में आदिवासी वित्त विकास निगम की अध्यक्ष।

कमजोरी- आदिवासी समाज के अलावा अन्य वर्गों से सीधा संपर्क नहीं।

लखन यादव

मजबूत पक्ष- लंबे समय तक मंडल अध्यक्ष रहने से बूथ स्तर तक कार्यकर्ता से सीधा जुड़ाव रामकथा वाचक होने से धार्मिक व्यक्ति की छवि, समाज का बड़ा वोट बैंक होने का फायदा, बेहतरीन वक्ता, विधानसभा के 60% क्षेत्र के तीन बार मंडल अध्यक्ष रहे, पांव पांव-गांव गांव यात्रा के साथी भी रहे हैं।

कमजोरी- सामान्य परिवार से होना, स्वाभिमानी व्यक्ति होने के कारण राजनीतिक जोड़ तोड़ से दूर होना।

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