मोसीम तड़वी, बुरहानपुर। मप्र के बुरहानपुर जिला अस्पताल (Burhanpur District Hospital) का लल्लूराम डॉट कॉम (Lalluram.com) की टीम ने बुधवार को रियलिटी चेक (Reality Check) किया। इस दौरान कई खामियां सामने आई है। अस्पताल में डॉक्टरों की ओपीडी (Doctors OPD) का समय सुबह 9 बजे से 2 बजे तक और शाम 5 से 6 का है, लेकिन डॉक्टर 10 से 11 बजे के बीच तक अस्पताल में पहुंचते है, तब तक मरीजों को डॉक्टरो के कक्ष के समक्ष नीचे जमीन पर बैठकर घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई डॉक्टर तो कभी कभी गैर हाजिर रहते है, मरीजों को इलाज के लिए जद्दोजहद करना पड़ती है।

मामला यहां तक ही नहीं रुकता अस्पताल के सिविल सर्जन जो की अस्पताल की पूरी कमान उनके जिम्मे होती है, वहीं सिविल सर्जन (Civil Surgeon) साहब भी कभी कभी गैर हाजिर रहते है और अस्पताल आने का भी कोई समय नहीं है। 2 बजे तक के बाद ही अस्पताल में साहब की एंट्री होती है, तब तक साहब के चेंबर के लाइट पंखे (Light-Fans) सब ऑन रहते है। जब अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी ही इस तरह की लापरवाही करे तो अधिनस्थ स्टाप किस तरह की लापरवाही कर सकता है, ये आप और हम बेहतर जानते है।

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हेल्प डेस्क खा रहा धूल

राज्य शासन की ओर से बनाये गए हेल्प डेस्क (Help Desk) भी कई महीनों से धूल खा रहा है। लोगों की सुविधा के लिए राज्य शासन द्वारा बनाये गए हेल्प डेस्क पर कर्मचारियों की नियुक्ति की है, ताकि लोगों को हेल्प डेस्क से सही जानकारी मिल सके, लेकिन जब से हेल्प डेस्क बना है तब से कुछ दिन तक ही इसने अपनी सेवाएं दी, बाद में कर्मचारी इस हेल्प डेस्क से नदारद रहते है।

अस्पताल में गंदगी का भी आलम

करोडों के बने जिला अस्पताल में सुबह 9 बजे तक साफ सफाई नहीं होती है, वार्ड में कचरा पड़ा रहता है। लोग पान गुटका खाकर उसके पीक से अस्पताल को रंग रहे है। सफाई व्यवस्था सिर्फ और सिर्फ काया कल्प की टीम के आने से पहले ही होती है, तब अस्पताल को नंबर लेकर प्रदेश में नंबर बढ़ाना रहता है, बाद में ये व्यवस्था सारी सिर्फ मरीज और परिजनों को ही झेलना पड़ती है।

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कई महीनो से ऑपरेशन बंद

जिला अस्पताल में कई महीनों से ऑपरेशन (Operation) बंद पड़े हुए है। बेहोशी के डॉक्टर की कमी के कारण ये परेशानी मरीजों को उठाना पड़ रही है। जनप्रतिनिधि भी इस पूरे मामले में मौन है, यहां तक के दादा दयालु के नाम से चर्चित सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल (Gyaneswar Patil) के भी पूरा मामला संज्ञान में है, लेकिन दादा दयालु की दया बुरहानपुर पर नहीं पड़ रही है।

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