शुभम नांदेकर, पांढुर्णा(छिंदवाड़ा)। मध्यप्रदेश में लंपी वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में अब तक दो दर्जन गाय बैलों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को पांढुर्णा के ग्राम पारडी में फिर एक बैल की मौत हो गई। ग्रामीण इलाकों में लंपी डिजीज को लेकर डर बना हुआ है।

पांढुर्णा में लंपी वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ये स्किन डिजीज पशुओं को संक्रमित कर रही है। इस वायरस से अब तक 2 दर्जन गाय और बैल मवेशियों की मौत हो चुकी है। राज्य सरकार इसकी रोकथाम के लिए कदम उठा रही है, लेकिन इस बीमारी से जान गंवाने वाले मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बीमारी के बढ़ते मामले अब किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं।

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लंपी स्किन डिजीज के सबसे ज्यादा केस गायों में आ रहे हैं। ये बीमारी गायों को तेजी से संक्रमित कर रही है और उनकी मौत का कारण बन रही है। लंपी डिजीज धीरे-धीरे एक महामारी की तरह फैल रही है। आलम यह है कि इससे संक्रमित होने वाली 8 से 10 फीसदी गायों की मौत हो रही है। अगर कोई एक जानवर इस बीमारी से संक्रमित हो रहा है तो दूसरा भी उसकी चपेट में आ रहा है। एक संक्रमित गाय या मवेशी के शरीर पर मौजूद घाव पर बैठने वाली मक्खी, मच्छर के जरिए लंपी वायरस एक से दूसरे जानवर तक पहुंच रही है।

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ग्रामीण इलाकों में भी डेयरी पर दूध और घी की सप्लाई प्रभावित हो रही है। लोगों को लग रहा है कि गायों का दूध पीने से ये बीमारी उनको संक्रमित कर सकती है। खासतौर पर छोटे बच्चों के माता-पिता को इस बारे में काफी डर सता रहा है। लंपी वायरस को आम लोग कोविड से जोड़कर देख रहे हैं। पांढुर्णा के कई ग्रामीण इलाकों में लंपी डिजीज को लेकर डर बना हुआ है। संक्रमित गायों के डर की वजह से दूध की खपत भी कम हो गई है।

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