शरद पाठक,छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में छात्रवृत्ति वितरण में हो रही अनियमितताओं के कारण अनेक छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधेरे में आ गया है। लापरवाही का आलम ऐसा है कि 2020-21 में शुरू होने वाला पैरामेडिकल और नर्सिंग छात्र छात्राओं का सत्र लेटलतीफी के कारण 2023 में शुरू हो पाया है जिससे छात्रों के 2 वर्ष बर्बाद हो गए और उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई। अब प्रबंधन का कहना है की 2020-21 का छात्रवृत्ति पोर्टल बहुत पहले ही बंद हो चुका है और आपका बैच 2020-21 का है इसलिए अब आपको छात्रवृत्ति नहीं दी जा सकती।

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छात्राओं ने बताया कि एक साल की फीस करीब 80000 रुपये होती है और उन्होंने छात्रवृत्ति के सहारे ही कॉलेज में प्रवेश लिया था। लेकिन शासन की लेटलतीफी के कारण समय पर वह बैच स्टार्ट नहीं हो पाया तो इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। अब हमसे कहा जा रहा है कि क्योंकि उस वर्ष का पोर्टल बंद हो चुका है, इसलिए उन छात्राओं को अब छात्रवृत्ति प्रदान करना संभव नहीं है।

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छात्राओं का सवाल है कि शासन की लापरवाही या गलत नीति के कारण यदि कॉलेज का सत्र आरंभ नहीं हो पाया तो इसकी सजा छात्राओं को क्यों दी जा रही है । उनका कहना है कि बिना छात्रवृत्ति के हम लोगों का पढ़ाई किया जाना संभव नहीं है। सरकार छात्राओं की मदद करने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है फिर आखिर हमारे साथ ये अन्याय क्यों हो रहा है ।

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