शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार सीएम हेल्पलाइन के जरिए जनता की शिकायतों का निराकरण करने का दावा कर रही है। लेकिन असल आंकड़े दावों की पोल खोल रहे हैं। दरअसल उनकी शिकायत सुनी ही नहीं जा रही है। अगर संज्ञान में भी आया तो उस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। हाल ही में सीएम हेल्पलाइन को लेकर निगम वार आंकड़े जारी हुए हैं जिसमें 16 में से 14 नगर निगम फिसड्डी साबित हुए हैं। कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का गृह जिला सागर सबसे अंतिम पायदान पर है। वहीं सिर्फ भोपाल और छिंदवाड़ा टॉप पर है। आंकड़ा सामने आने के बाद अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। 

अधिकारी मस्त जनता त्रस्त

दरअसल आज प्रदेश के सबसे बड़े शिकायत करने के मंच सीएम हेल्पलाइन में 16 नगर निगम की स्थिति को लेकर रैंकिंग जारी हुई है। शिकायत के सर्वोच्च मंच की रेटिंग में अफसर की लापरवाही का बड़ा खुलासा हुआ है। आंकड़े पेश होने के बाद यह दिखाई दे गया कि 14 नगर निगमों की जनता कितनी बेहाल है। पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के गृह क्षेत्र सागर नगर निगम की स्थिति प्रदेश में सबसे बदतर है। यह कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का भी गृह जिला है। 

इतना ही नहीं, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के गृह क्षेत्र इंदौर की भी हालत खस्ता है। सीएम के गृह जिले उज्जैन में शहर सरकार के अफसरों की लापरवाही की पोल भी खुल गई है। कटनी, मुरैना,जबलपुर, उज्जैन, सिंगरौली, रीवा, सतना और खंडवा नगर निगम को B रैंकिंग दी गई है। वहीं रतलाम, इंदौर, देवास, बुरहानपुर, ग्वालियर को C रैंकिंग मिली है। सागर नगर निगम अंतिम पायदान पर D रैंकिंग में है। 16 में सिर्फ 02 भोपाल और छिंदवाड़ा नगर निगम शिकायत निराकरण के मामले पर पहले स्थान पर A रैंकिंग में हैं। नगरीय विकास आवास विभाग की रैंकिंग ने अधिकारियों की टेंशन  बढ़ा दी है। 

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