शब्बीर अहमद, भोपाल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आया है। पार्टी ने कहा कि वाइस प्रेसिडेंट ने सार्वजनिक मंच से किसानों की असल स्थिति को आईने की तरह साफ कर दिया है। बड़े-बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार-केंद्रीय कृषि मंत्री के कागजी वादों का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया है। वहीं पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद ने कहा कि क्या उपराष्ट्रपति सदन की आसंदी से केंद्र सरकार और पीएम मोदी से यह सवाल पूछ सकेंगे ?

एमपी कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा- माननीय उपराष्ट्रपति जी ने सार्वजनिक मंच से किसानों की असल स्थिति को आईने की तरह साफ कर दिया है! बड़े बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के कागजी वादों का कच्चा चिट्ठा माननीय उप राष्ट्रपति जी ने खोल कर रख दिया! उम्मीद है अब मोदी सरकार और उसके कृषि मंत्री को अगर शर्म आए तो किसानों के हालात सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाए !!

ये भी पढ़ें: जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा…. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल, कार्यक्रम में मंच पर ही मौजूद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा- मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है?

दिग्विजय बोले- ये सवाल विपक्ष ने हमेशा उठाया है

वहीं पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पोस्ट पर कहा- धन्यवाद उपराष्ट्रपति जी आपने किसानों के पक्ष में आवाज़ उठाई है। किसानों से किया गया वादा पूरा क्यों नहीं किया गया, ये सवाल विपक्ष ने हमेशा उठाया। क्या माननीय उपराष्ट्रपति महोदय सदन की आसंदी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये सवाल पूछ सकेंगे? क्या आप Rule 267 के अंतर्गत राज्य सभा में हमें चर्चा करने की इजाज़त देंगे?

उपराष्ट्रपति ने कही थी ये बात

दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री की ओर इशारा कर कहा था कि एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइए कि किसानों से क्या वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? उन्होंने कहा कि अगर किसानों को उचित मुल्य दे दिया जाएगा तो कोई पहाड़ तो नहीं टूट जाएगा। किसान अकेला है।

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कालचक्र घूम रहा, हम कुछ कर नहीं रहे- वाइस प्रेसिडेंट

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साल भी किसानों का आंदोलन हुआ था, इस साल भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमरा सपना नहीं, लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो फिर मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है। किसान अगर आज के दिन आंदोलित हैं, उस आंदोलन का आकलन सीमित रूप से करना बहुत बड़ी गलतफहमी और भूल होगी। जो किसान सड़क पर नहीं है, वह भी आज के दिन चिंतित हैं, आज के दिन परेशान हैं। भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा मिलना है तो हर व्यक्ति की आय को आठ गुना करना है। उस आठ गुना करने में सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का है, किसान कल्याण का है।

धनखड़ ने शिवराज सिंह से पूछा ये सवाल

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे कहा कि ‘किसान हमारे लिए आदरणीय है, प्रातः स्मरणीय हैं, सदैव वंदनीय है। मैं खुद किसान का बेटा हूं, मैं जानता हूं किसान क्या कुछ नहीं झेलता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च पूरे देश में फैली हुई है। इसके 180 से ज्यादा संस्थाएं हैं, जो लंबे समय से कार्यरत हैं। कृषि, किसान और ऐग्रो इकोनॉमी से जुड़ा हुआ कोई भी पहलू अछूता नहीं रहा। किसान से बातचीत में देरी नहीं होनी चाहिए और हमें जानकारी होनी चाहिए, क्या किसान से कोई वादा किया गया था ? प्रधानमंत्री जी का दुनिया को संदेश है, जटिल समस्याओं का निराकरण वार्ता से होता है। कृषि मंत्री जी, आपसे पहले जो कृषि मंत्री जी थे, क्या उन्होंने लिखित में कोई वादा किया था? यदि अगर वादा किया था तो उसका क्या हुआ?’

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