कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर सीबीआई की विशेष न्यायालय ने आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला (constable recruitment exam scam) मामले में सजा सुनाई है। न्यायाधीश अजय सिंह ने सॉल्वर और मुन्ना भाई को दोषी मानते हुए चार-चार साल की सजा सुनाई है। दोनों आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में 13-13 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दरअसल, एमपी के भिंड (Bhind) जिले में 3 सितंबर 2012 को आयोजित आरक्षक भर्ती परीक्षा में सॉल्वर बलराम यादव निवासी रायबरेली को मुन्ना भाई अखिलेश यादव निवासी कन्नौज के स्थान पर परीक्षा देते पकड़ा गया। बाद में इस बात का खुलासा हुआ कि अखिलेश ने मिडिलमैन महेंद्र निवासी हमीरपुर और प्रतीक निवासी इलाहाबाद से संपर्क कर सॉल्वर का प्रबंध किया था।
मिडिलमैन की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट अभिषेक पाराशर ने कोर्ट को बताया कि दोनों को ही जांच एजेंसी ने प्रकरण में झूठा फंसाया है। सभी पक्षों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने मुन्ना भाई और सोल्वर को दोषी माना, जबकि साक्ष्य के अभाव में दोनों मिडिलमैन को बरी कर दिया।
व्यापम कांड 2006 फर्जीवाड़े मामले में आरोपी बरी
प्री पीजी परीक्षा घोटाला मामले में आरोपियो को बरी कर दिया गया है। सीबीआई विशेष न्यायाधीश ने सबूतों के अभाव में डॉक्टर दीपक यादव और संतोष बरी कर दिया है। इस मामले में पहले ही डॉ दीपक यादव के पिता कप्तान सिंह और सुरेश वर्मा को क्लीनचिट मिल चुकी है। अभियोजन साबित नहीं कर सका कि 2016 में संतोष चौरसिया और सुरेश वर्मा ने व्यापम द्वारा आयोजित प्रीपीजी परीक्षा में डॉक्टर दीपक यादव के साथ मिलकर अपराधिक षड्यंत्र रचा था।
आरोप था कि डॉ यादव ने अपना फोटो और 16 लाख रुपये सहयोगी आरोपियों को दिए। जिसके चलते सॉल्वर ने उनके स्थान पर बैठकर परीक्षा दी और पास भी की थी। व्यापम कांड के विसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी की शिकायत पर 2014 में पुलिस थाना झांसी रोड में मामला दर्ज किया था।
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