बीडी शर्मा, दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिला अस्पताल में सीजर ऑपरेशन के बाद 4 प्रसूताओं की मौत के बाद बड़ी कार्रवाई की गई है। अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ राजेश नामदेव को पद से हटा दिया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ राजू निदारिया ने इसे लेकर आदेश जारी कर दिया है। 

डॉ राजेश नामदेव को पद से हटाने के बाद डॉ राकेश राय को सिविल सर्जन नियुक्त किया गया है। दरअसल जिला अस्पताल में सीजर ऑपरेशन के बाद 4 प्रसूताओं की मौत हो गई थी। कलेक्टर के निर्देश के बाद इस मामले की जांच चल रही है। 

यहां पढ़ें पूरा मामला

जिला अस्पताल में 4 जुलाई को जिन गर्भवती महिलाओं का सीजर ऑपरेशन हुआ था। उनमें से एक-दो नहीं सभी प्रसूताओं को पेशाब रुकने और इन्फेक्शन की शिकायत हुई और एक के बाद एक चार महिलाओं ने दम तोड़ दिया। सिर्फ बीस दिन के भीतर चार महिलाओं की मौत हो गई। 4 नवजातों के सिर से मां का आंचल छीन गया। मृतिकाओं के परिजनों ने अस्पताल पर इलाज में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। वहीं, शव सड़क पर रखकर और दोषियों के खिलाफ मुख्यमंत्री मोहन यादव से कार्रवाई की मांग की है। कलेक्टर सुधीर कोचर ने इसे बड़ी लापरवाही मानकर जांच का आश्वासन दिया और एक हफ्ते के अंदर जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।

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जिले के बकायन गांव के सचिन चौरसिया की पत्नी लक्ष्मी चौरसिया हाईकोर्ट जबलपुर में पदस्थ थीं। दमोह जिला अस्पताल में नॉर्मल डिलीवरी के लिए आई थी। रात होते-होते कहा गया सीजर होगा। बच्चा अच्छा रहा पर चार-पांच घंटे बाद तेज दर्द हुआ और चंद मिनट में लक्ष्मी की सांसे थम गई। लक्ष्मी के पति सचिन बताते हैं कि अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही के चलते पत्नी की मौत हो गई।

दमोह के हिंडोरिया गांव की निशा परवीन का भी पहला बच्चा होना था। सीजर तक सब ठीक था। बच्चा हुआ मिठाइयां बांटी गईं पर पेशाब रुक गई। बताया गया किडनी फेल होने से गंभीर हालत में बड़ी मुश्किल से एंबुलेंस का प्रबंध हुआ। जबलपुर मेडिकल काॅलेज में डाइलेसिस होते रहे और 18 दिन के संघर्ष के बाद निशा परवीन ने भी दम तोड़ दिया। इनके परिजन भी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हैं।

हटा की हुमा का भी पहला बच्चा होना था। सीजर तक सब ठीक था। बच्चा हुआ मिठाइयां बांटी गईं पर पेशाब रुक गई। बताया गया किडनी फेल होने उसे भी गंभीर हालत में दमोह से जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। जहां लगातार डायलिसिस होते रहे और 20 दिन के बाद हुमा ने भी दम तोड़ दिया। इनके परिजन भी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हैं। लगातार हुईं मौतों से आहत होकर शव को सड़क पर रखा गया। मांग की गई कि इस तरह के दोषी अस्पताल स्टाफ पर कार्रवाई हो। सभी का अच्छा इलाज हो, बच्चे और परिजन को मुआवजा दिया जाए, प्रशासन के आश्वासन के बाद इन्हें सुपुर्दे खाक किया गया।

पटेरा नया गांव की हर्षना कोरी का पहला बच्चा सीजर से हुआ पर चंद घंटों में ही तबियत बिगड़ गई। आईसीयू में एडमिट किया गया पर संघर्ष ज्यादा नहीं चला और सुबह होने से पहले हर्षना ने भी दम तोड़ दिया। 

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