बीडी शर्मा,दमोह। मध्यप्रदेश के दमोह जिले में बाल आयोग की टीम ने अब ईसाई मिशनरी की तरफ से संचालित बाल गृह आधार शिला संस्थान पर छापेमार कार्रवाई किया है. जिसके बाद दमोह का बहुचर्चित मिशनरी अजय लाल का धर्मान्तरण मामला एक बर फिर सुर्खियों में आ गया है. दमोह कई जगहों पर धर्मांतरण का खेल चल रहा है. आधारशिला संस्थान के कर्मचारी पर यौन शोषण का आरोप लगा था. जिसके बाद बाल आयोग के सदस्य जांच करने पहुंचे, तब चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. ईसाई मिशनरी संस्था एक स्कूल भी संचालित कर रहा है. हॉस्टल में रह रहे कई हिन्दू बच्चों के पास से बाइबिल मिली है.

पूरा मामला दमोह शहर के ईसाई मिशनरी की संचालित बाल गृह आधारशिला संस्थान का हैं, जहां पर मिशनरी अजय लाल की संचालित बालभवन की बाल आयोग को एक शिकायत मिली थी. जिसमें बाल भवन में पदस्य एक टीचर के द्वारा एक नाबालिग बच्ची के साथ अश्लील चेटिंग करना और उसका यौन शोषण जैसी शिकायत थी. जिसके बाद बाल आयोग ने मौके पर आकर निरीक्षण किया. साथ ही वहां पर मौजूद अन्य बच्चियों से चर्चा की.

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इस दौरान बाल आयोग की टीम को आधारशिला संस्थान से कई धर्मांतरण के सबूत भी हाथ लगे है. साथ ही बाल गृह में पढ़ने वाली बच्चियों के कक्षा एक से कक्षा पाँचवी तक बाइबल दी गई थी. उन्हें ईसाई धर्म की तरफ आकर्षण किया जा रहा है. बाल आयोग ने मौके से किताबें जब्त किया है. हालांकि इस दौरान बाल आयोग की टीम और संस्थान के कर्मचारियों के बीच तनातनी भी हुई.

बाल आयोग की जांच में यह भी सामने आया है कि हॉस्टल-स्कूल की आड़ में धर्मांतरण के खेल का शक गहरा हुआ. बच्चियों का ब्रेनवाश किया गया है. बच्चियां अपने घर नहीं जाना चाहती. बच्चियों की सुरक्षा के मद्देनज़र बाल आयोग ने अनुशंसा की है कि संचालित हॉस्टल और संस्थान पूरी तरह अवैध है. बच्चियों को शिफ्ट करने की बात बाल आयोग ने कही है. अन्य नाबालिग बच्चियों से पूछताछ में बात सामने आई है.

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इस मामले में जानकारी देते हुए बाल आयोग के सदस्य ओमकार सिंह ने बताया कि बाल आयोग को शिकायत मिली थी. जिसको लेकर यह निरीक्षण किया गया है. जिसमें यह पाया गया है कि ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित यह आधार शिला संस्थान बाल गृह अवैध है. जिसकी कोई परमीशन नहीं है.

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राष्ट्रीय बाल आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर लिखा है कि अवैध धर्मांतरण करने वालों के साथ कर्मचारी कई स्तरों पर मिले हुए हैं. विभाग के कर्मचारियों को 20 दिन से पता था कि बच्चियों का यौन शोषण हो रहा था, जो कि उन्होंने पुलिस को नहीं बताया. पूरे मामले को छिपाया गया. यहां तक कि इस बारे में फ़ोन पर बात करने पर विभाग के कर्मचारी शालीन शर्मा ने मुझे ही कॉल रिकॉर्डिंग कर धमकाने का प्रयास किया.

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