बीडी शर्मा, दमोह. आपने लोगों को शांत वातावरण में या अपने घर में आराम से योग करते देखा होगा. लेकिन, क्या आपने कभी किसी को पानी में लेटकर योग के साथ हनुमान चालीसा करते हुए देखा है? जी हां, एक ऐसा ही वीडियो सामने आया है, जिसमें एक पुलिसकर्मी पानी में लेटकर हनुमान चालीसा का पाठ करते नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं ये घंटों पानी में लेटकर जल साधना करते हैं.

दरअसल, मध्य प्रदेश के दमोह जिले के बांदकपुर पुलिस चौकी में तैनात पुलिस आरक्षक पानी में तैरकर श्री हनुमान चालीसा पाठ करते हैं, जो अपने आप में तो अनूठा है ही साथ ही देखने वालों में भी रोमांच भर देते हैं. ये हैं भगवान दास दहिया…जागेश्वर नाथ धाम स्थित बांदकपुर चौकी में पुलिस में पदस्थ हैं. लोग इन्हें बाबा भगवान दास के नाम से जानते हैं. यह बिना हाथ पैर चलते हुए भी गहरे जल स्रोत में घंटे भर तक योग साधना करते हुए हनुमान चालीसा पढ़ते हैं.

10 साल की उम्र से कर रहे जल साधना

दयिहा श्री राम मंदिर निर्माण की संकल्प को लेकर 10 वर्ष की उम्र से जल में साधना कर रहे हैं. बताते हैं कि 1992 में इनका पुलिस विभाग में चयन हुआ था. 10 वर्ष की उम्र से प्रभु श्री राम जी के मंदिर निर्माण की संकल्प को लेकर जल में साधना करने में लगे हैं. आज बांदकपुर की प्राचीन बावड़ी में जैसे ही गहरे जल में छालांग लगते हैं. अपने आप पूरा शरीर जल के ऊपर आ जाता है. जैसे कोई अदृश्य शक्ति सहारा दे रही हो. इसे चमत्कार कहें या कोई या योग साधना या फिर करतब कहा जाए.

पानी में घंटों पढ़ते हैं हनुमान चालीसा

भगवान दास की माने तो उनका कहना है कि राम नाम में इतनी शक्ति है कि पत्थर भी तैरने लगते हैं. उसी तरह श्री राम नाम का जप करते हुए कुएं-बावड़ी, तालाब, नदी के छालांग लगते ही पूरा शरीर जल के ऊपर आ जाता है. जबकि उनका वजन 80 किलो का है फिर भी यह करिश्मा अपनी साधना से करते हैं. जबकि यह सत्य है पानी में पत्थर फेंकने पर डूब जाता है. लेकिन 80 किलो वजन के भगवान दास बाबा पानी के ऊपर आसन लगाकर श्री हनुमान चालीसा घंटे तक पढ़ते रहते हैं और डूबते नहीं हैं.

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प्रत्येक मंगलवार को करते हैं जल साधना

भगवान दास दहिया प्रभु श्री राम की कृपा से बरसों से प्रत्येक मंगलवार को जल साधना से करते चले आ रहे हैं. जिसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय योग पुरस्कार और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार प्राप्त हो चुका है. भगवान दास का कहना है 21 वर्षों की साधना के बाद राम मंदिर का संकल्प साकार हुआ है. अब उनका यही संकल्प साधना काशी और मथुरा धाम के लिए जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर आगे भी जारी रहेगी.

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