शरद पाठक/शुभम नांदेकर,छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में लंपी वायरस से पशुओं की मौत का मामला सामने आया है। हालांकि पशु चिकित्सा विभाग ने अब तक इस बीमारी की पुष्टि नहीं की है। वहीं जांच के लिए भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट एक माह बीत जाने के बाद भी अब तक नहीं आई है। प्रशासन की उदासीनता से पशुपालकों में डर का माहौल है।

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दरअसल, जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लंपी वायरस से जानवरों के ग्रसित होने और उनकी मौत होने की खबर मिल रही है। वहीं जिला प्रशासन अब तक इस वायरस का प्रभाव स्वीकार करने को तैयार नहीं है। पांढुर्ना, हर्रई, जुन्नारदेव, परासिया, बिछुआ समेत हर तरफ इस वायरस का प्रभाव देखा जा रहा है, लेकिन पशु चिकित्सा विभाग अब तक इस वायरस की पुष्टि नहीं कर पाया है। विभाग का कहना है कि बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन किया गया।

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पांढुर्णा के ग्राम पारडी में मंगलवार को एक बैल की मौत हो गई। इसके अलावा अन्य जानवर भी इस वायरस के शिकार दिखाई दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन अब तक किसी भी जानवर में लंपी वायरस पाए जाने की पुष्टि नहीं कर सका है। इसके पहले हर्रई के बटकाखापा क्षेत्र में जानवरों में लंपी वायरस का असर देखा गया था, कुछ जानवरों की मौत हुई हुई थी। इसके बाद भी चिकित्सा विभाग द्वारा जानवरों के सैंपल लेने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जिससे पशु पालकों को अब तक पता नहीं चल सका कि उनके जानवरों की मौत लंपी वायरस से हुई है या किसी अन्य बीमारी से हुई। इसके अलावा परासिया, जुन्नारदेव और बिछुआ क्षेत्र में भी अनेक जानवरों में लंपी वायरस के लक्षण दिखाई दिए है।

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जिले में लंपी वायरस के बढ़ते प्रभाव से एक तरफ जहां पशुपालक चिंतित नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पशु चिकित्सा विभाग इतना समय बीत जाने के बाद भी जिले में इस वायरस की पुष्टि नहीं कर सका है। जिससे पशुपालकों में डर का माहौल बना हुआ है। बीमारी के खौफ की वजह से दूध के धंधे पर भी असर पड़ रहा है। पशुपालक खुद ही अपने पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

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विभाग के पास 25 हजार वैक्सीन

इधर पशु चिकित्सा के उपसंचालक डॉक्टर एचजीएस पक्षवार ने कहा कि हमारे पास 25000 वैक्सीन उपलब्ध हैं। वहीं अब तक 10,000 वैक्सीन लगा चुके है। हमने सैंपलों को भोपाल भेज दिया है, लेकिन अब तक किसी की भी रिपोर्ट नहीं मिली है। साथ ही उन्होंने लंपी वायरस से किसी भी जानवर के मौत की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक सैंपल की रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती।

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लंपी वायरस से पशुपालकों में खौफ

बता दें कि जिले में लंपी वायरस से पशुपालकों में खौफ बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन जांच के नाम पर महज बीमारी के अस्तित्व से ही इनकार कर रहा है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा ठोस कदम ना उठाएं जाने की वजह से पशुपालक डॉक्टरों के पा जा रहे है, साथ ही जानवारों को बचाने के लिए देसी नुस्खे भी अपना रहे हैं। दूध का व्यापार खत्म होता जा रहा है। अगर प्रशासन उदासीनता इसी तरह रहेगी तो जिले में यह बीमारी व्यापक रूप ले सकती है।

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