प्रदीप सिंह ठाकुर,देवास। आप किस्मत के भरोसे बैठे हैं, क्या पता किस्मत तुम्हारे भरोसे बैठी हो! कहते हैं किस्मत से ही तरक्की मिलती है, लेकिन जिसके हाथ में किस्मत की लकीरें ही न हो. उसके लिए आप क्या कहेंगे ? जब किस्मत की रेखा ही न हो तो इंसान को खुद की तकदीर लिखनी पड़ती है. ठीक ऐसे ही एक शख्स ने पैरों से अपनी तकदीर लिखी है. उसने पैरों से लिखकर पटवारी की परीक्षा पास की है. जिसकी चारों ओर चर्चा और तारीफ हो रही है. इसे कहते हैं लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

दरअसल मध्यप्रदेश के देवास जिले के पीपलरावा नगर परिषद के रहने वाले दिव्यांग आमीन मंसूरी ने अपने पहले ही प्रयास में पटवारी परीक्षा पास की है. आमीन के जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं हैं. पटवारी की परीक्षा उसने अपने पैरों से लिखकर पास की हैं. जिले में फर्स्ट रैंक भी हासिल की है. उसकी इस सफलता के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.

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पीपलरावा में रहने वाले आमीन मंसूरी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है. लेकिन उसने अपनी दिव्यांगता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ वह अपने दिनचर्या के कार्य जो हाथों से किए जाते हैं, वह पैरों से करने लगा. लिखना, कम्प्यूटर चलाना और भी महत्वपूर्ण कार्य आमीन ने पैरों से करते हुए इंदौर से ग्रेजुएशन किया.

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उसके बाद पटवारी की तैयारी और परीक्षा में शामिल होकर अपनी कैटेगरी में जिले के अंदर फर्स्ट रेंक भी हासिल की है. आमीन की इस सफलता पर उसने और उसके पिता इकबाल मंसूरी ने खुशी जाहिर करते हुए इसे आमीन की मेहनत का फल बताया है. अब मंसूरी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है.

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